पत्रकार जॉन पिल्गर का निधन
( जॉन पिल्गर 08 जुलाई, 2017 को लंदन, यूनाइटेड किंगडम में
क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय सेंटर में यूरोप के सबसे बड़े फिलिस्तीन कार्यक्रम, पालएक्सपो
में भाषण देते हुए)
जॉन पिल्गर और बीबीसी वर्ल्ड अफेयर्स के संपादक जॉन सिम्पसन ने , एक
पत्र के माध्यम से,जो
17
फरवरी 2006, को फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित हुआ, साथी पत्रकारों से आग्रह
किया है कि वे समकालीन आदिवासी लोगों का वर्णन करने के लिए 'पाषाण युग' और 'आदिम' जैसे शब्दों का उपयोग न करें।
पत्र में कहा गया है, 'ये शब्द खतरनाक हैं क्योंकि अप्रत्यक्ष
रूप से अपमानजनक होने के अलावा, अक्सर इनका उपयोग आदिवासी लोगों के उत्पीड़न को उचित ठहराने के लिए किया
जाता है।' जैसे कि, इंडोनेशिया
और बोत्सवाना की सरकारें दावा करती हैं कि जनजातियों का जबरन `विकास ' करना उनकी अपनी भलाई के लिए है और
उन्हें `सभ्य' दुनिया के साथ ` समाहित करने ' में मदद करता है। जबकि, शामिल लोगों के
लिए परिणाम लगभग हमेशा विनाशकारी होते हैं।
यह पत्र कई ब्रिटिश अखबारों द्वारा हिंद महासागर में उत्तरी सेंटिनल
द्वीप पर लगभग पूर्ण अलगाव में रहने वाले सेंटिनलीज़ का वर्णन करने के लिए 'जंगली', 'पाषाण युग' और 'पृथ्वी पर सबसे आदिम जनजातियों में से एक' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद आया है। .
सेंटिनेलिस उस समय खबरों की दुनिया की सुर्खियों में तब आए जब
उन्होंने अपने जल क्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले दो लोगों को मार डाला।
पत्र पर प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक , क्रिस्टोफर बुकर, हेंडरसन अलेक्जेंडर गैल और जॉर्ज जोशुआ रिचर्ड मोनबियोट ने भी
हस्ताक्षर किए थे
इससे भी पहले ,संयुक्त राज्य अमेरिका में, 1976 में जॉन पिल्गर के तीन वृत्तचित्रों में से दूसरा - पिरामिड लेक
इज़ डाइंग - में, वह मूल अमेरिकियों की संस्कृति के ख़त्म होने और उनके संसाधनों की
चोरी पर रिपोर्ट करते हैं कि नेवादा स्तिथ पिरामिड झील, जो मूल रूप से पाइयूट लोगों का घर है और जिसे कभी "अमेरिकी
पश्चिम में बचे हुए कुछ अछूते प्राकृतिक आश्चर्यों में से एक" के रूप में
वर्णित किया गया था, नये बसने वाले गोरे निवासियों द्वारा स्थानीय पारिस्थितिकी में किए
गए परिवर्तनों के कारण सूख रही है . इसका
मत्स्य पालन और वन्य जीवन भी गायब
हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि प्राकृतिक
संसाधनों के अलावा, पाइयूट लोगों की संस्कृति और जीवनशैली भी खतरे में है.
उनके अनुसार,यह प्रक्रिया तब
शुरू हुई, जब 1905 में, सरकार ने पास के गोरे लोगों
को पानी पिलाने के लिए, झील के प्रमुख स्रोत, ट्रकी नदी पर एक बांध बनाया । बचा हुआ पानी एक अन्य झील विन्नमुक्का
को विलुप्त होने से बचाने या पिरामिड झील की धीमी मृत्यु को रोकने के लिए पर्याप्त
नहीं था।
उन्होंने बताया कि फालोन शहर में,
जहां पिरामिड झील का अधिकांश पानी एक
(असफल) सिंचाई योजना में दिया गया था, पिल्गर को एक " शिकारगाह
" मिली , जन्हाँ से अधिकांश वन्यजीव भाग गए ।
नेवादा का सबसे बड़ा जल उपयोगकर्ता राज्य सीनेटर कार्ल डॉज के स्वामित्व वाला एक
खेत है.
वे अपनी बात आगे बडाते हुए कहते हैं कि ,1960 के दशक में पाइयूट्स आवादी के किनारे पर एक स्कूल बनाया गया था
क्योंकि आस-पास रहने वाले गोरे इसे चाहते थे। पाइयूट्स लोगों को गोरों दुआरा जीवन जीने का तरीका सिखाया गया।
पिल्गर कहते हैं, '' पाइयूट्स आवादी को श्वेत व्यक्ति के रास्ते पर चलना पड़ रहा है।'' "वे अब, बेस्वाद
मछली की नई नस्ल(
जिससे वे नफरत करते रहे ) और केंटकी फ्राइड चिकन खाते हैं।"
फरवरी 2006, के पत्र के सम्बन्ध में सर्वाइवल
इंटरनेशनल के उस समय के निदेशक स्टीफन
कोरी ने आज कहा था , दुनिया भर के पत्रकारों को यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के शब्दों
का इस्तेमाल न केवल गलत है, बल्कि बेहद हानिकारक है। वे
पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देते हैं जो सीधे तौर पर आदिवासी लोगों को पीड़ा पहुंचाते
हैं। हमें खुशी है कि ऐसे हाई-प्रोफाइल पत्रकारों ने यह मुद्दा उठाया है और हमें
उम्मीद है कि कई अन्य पत्रकार भी उनका अनुसरण करेंगे।'
मूल निवासिओं और उत्पीड़ितों
के लिए यह निडर आवाज़ और खोजी पत्रकारिता
के दिग्गज जॉन पिल्गर का 84 वर्ष की आयु में, लन्दन में 30
दिसम्बर 2023 को
निधन हो गया .
अपने पूरे करियर के दौरान, पिल्गर पश्चिमी विदेश नीति (
विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन ) की और अपने
मूल देश ऑस्ट्रेलिया में स्वदेशी
आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ व्यवहार के कड़े आलोचक थे। पिल्गर ने स्वदेशी
आस्ट्रेलियाई लोगों के बारे में कई फिल्में बनाईं, जैसे 1985 में द सीक्रेट कंट्री: द फर्स्ट
ऑस्ट्रेलियन्स फाइट बैक और 2013 में यूटोपिया, साथ ही एक बेस्टसेलिंग किताब, ए सीक्रेट कंट्री भी लिखी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया की राजनीति
और नीतियों का पता लगाया गया। 2015 में गार्जियन के लिए लिखे अपने आखिरी कॉलम में, उन्होंने निंदा करते हये बताया
कि कैसे "आदिवासी लोगों को उनकी मातृभूमि से निकाला जाएगा जहां उनके समुदाय
हजारों वर्षों से रह रहे हैं"।
बॉन्डी, न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रिया में
जन्मे पिल्गर 1962 में ब्रिटेन चले गए, जहां उन्होंने डेली मिरर, गौर्जियन, आईटीवी के पूर्व
खोजी कार्यक्रम वर्ल्ड इन एक्शन और रॉयटर्स के लिए काम किया।
पिल्गर
का वृत्तचित्र फिल्म निर्माण में एक सफल करियर था, उन्होंने 60 से अधिक फिल्में बनाईं और कई
प्रशंसाएं जीतीं जिनमें बाफ्टा सम्मान भी
शामिल हैं। ।
वियतनाम,
कंबोडिया,
बांग्लादेश और बियाफ्रा के लिये बनाई डोकुमेंटरीज के लिये , उन्हें
1967 और 1979 में वर्ष का पत्रकार नामित किया गया।,
उन्होंने क्षेत्र की राजनीति में फ़िलिस्तीनी मुद्दे की केंद्रीयता को कभी
नज़रअंदाज़ नहीं किया और अपनी फ़िल्म “फ़िलिस्तीन इज़ स्टिल द इश्यू” को दो
अलग-अलग संस्करणों में जारी किया। साथ ही इराक
और पूरे मध्य पूर्व में इसके विनाशकारी परिणाम तक
संघर्षों को कवर किया .एक ऐतिहासिक आईटीवी वृत्तचित्र में,
उन्होंने चीन पर आने वाले युद्ध की चेतावनी दी।
उनकी
आखिरी फिल्म, द
डर्टी वॉर ऑन द नेशनल हेल्थ सर्विस,
2019 में रिलीज़ हुई थी और इसमें निजीकरण और
नौकरशाही से नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए खतरे की जांच की गई थी। इसे गार्जियन के
फिल्म समीक्षक पीटर ब्रैडशॉ ने "एक भयंकर, आवश्यक फिल्म" के रूप में वर्णित किया था।
पिल्गर
ने 1974 आईटीवी डॉक्यूमेंट्री थैलिडोमाइड: द नाइन्टी-एट वी फॉरगॉट भी बनाई, जो गर्भवती माताओं द्वारा दवा
लेने पर जन्म दोषों के बारे में चिंताएं उठाए जाने के बाद बच्चों के लिए मुआवजे के
अभियान के बारे में थी.
उन्होंने प्रेस में बड़े पैमाने पर लिखा,
सबसे प्रसिद्ध डेली मिरर और द गार्जियन में, जो ब्रिटेन के दो सबसे महत्वपूर्ण वाम-उदारवादी समाचार पत्र
हैं। उनके काम के लिए, उद्योग ने उन्हें अनगिनत पुरस्कारों से
पुरस्कृत किया, जिनमें एम्मी, और वर्ष के पत्रकार और
वर्ष के रिपोर्टर के उद्धरण शामिल रहे । 2003 में,
पिल्गर को "शक्तिशाली लोगों के झूठ
और प्रचार को उजागर करने के 30 वर्षों के लिए, विशेष रूप से युद्धों, हितों
के टकराव और लोगों और प्राकृतिक संसाधनों के आर्थिक शोषण से, संबंधित " के
लिए सोफी पुरस्कार मिला।
जॉन
पिल्गर की कुछ प्रशंसित पुस्तकें,
जिनमें से प्रत्येक, दुनिया पर एक अद्वितीय
दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं- हीरोज (1986), डिस्टेंट
वॉयस (1992), हिडन
एजेंडा(1998),न्यू
रुर्लस ऑफ़ द वर्ल्ड (1998) ,
टेल मी नो लाइज़(2004), इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म एंड इट्स ट्राइंफ्स (2004).
वह “स्टॉप द वॉर” गठबंधन और जूलियन
असांजे को मुक्त करने के अंतर्राष्ट्रीय अभियान के एक निर्विवाद समर्थक थे.
पिल्गर,
को उनकी क्रांतिकारी
पत्रकारिता और कॉर्पोरेट सत्ता, साम्राज्यवाद और सभी प्रकार के
अधिनायकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख के लिए हमेशा याद किया जायेगा .
पिल्गर का अंतिम पुरस्कार गैरी वेब फ्रीडम ऑफ़ द प्रेस अवार्ड 2023 था, "जीवन
भर अन्याय को उजागर करने, शक्तिशाली
लोगों को खिजाने और अपनी फिल्मों, किताबों और लेखो में प्रेस की स्वतंत्रता का बचाव करने के लिये "
आईटीवी
में मीडिया और मनोरंजन के प्रबंध निदेशक केविन लिगो ने कहा “जॉन की फिल्में दर्शकों को
विश्लेषण और राय देती हैं जो अक्सर टेलीविजन मुख्यधारा में कहीं और नहीं देखी जाती
हैं। यह एक ऐसा योगदान था जिसने ब्रिटिश टेलीविजन की समृद्ध बहुलता में बहुत
योगदान दिया।
जेकोबिन पत्रिका में जॉन रीस ने लिखा “
रिपोर्टर जॉन पिल्गर, जिनकी 2023 के अंत में मृत्यु हो गई,
ने दिखाया कि पत्रकारिता के माध्यम से शक्तिशाली लोगों पर हमला
करने और उत्पीड़ितों का पक्ष लेने के लिए प्रतिबद्ध जीवन कैसा दिखता है। जॉन पिल्गर
की मृत्यु हमारे सामने जो चुनौती छोड़ती है, वह
है उनका अनुकरण करना। यह जानकर लिखना कि कोई तटस्थ या निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं है
और, इससे भी अधिक, शोषण
और उत्पीड़न को समाप्त करने का प्रयास करने वालों के साथ खुली पहचान और उनके
संघर्षों में भागीदारी।“
(
सन्दर्भ – द गार्जियन ,जकोबिन,सर्वाइवल इंटरनेशनल ,मिडिल ईस्ट मोनिटर,कंसोर्टियम
न्यूज़ )
पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक
पानी पत्रक (136-26 जनवरी 2024)जलधारा
अभियान,
221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com