काठमांडू संकल्प पत्र
विश्व सामाजिक मंच. 2024 का सम्मेलन, नेपाल की राजधानी , काठमांडू में 15-19 फरवरी 2024 के बीच "एक और दुनिया संभव
है" के स्लोगन के साथ, सम्पन्न हुआ .प्रतक्ष्य दर्शियों के मुताबिक, पांच दिवसीय सम्मलेन में 92 देशों के 1,252 से अधिक संगठनों ने
व्यक्तिगत रूप से और वस्तुत, 30,000 लोगों ने सक्रिय रूप से ने भाग लिया।
इसमें बहुत सारे मुद्दों पर सत्र हुए.16,17 और 18 फरवरी 2024 को 'जलवायु न्याय, नदियों और समाज' पर, तीन दिन के सत्रों में व्यापक बातचीत हुयीं और एक संकल्प पत्र बनाया गया और
पारित हुआ. जिस पर सभी प्रीतिभागिओं ने हस्ताक्षर कर निम्नलिखित संकल्प लिये ----
२. हम स्वीकार करते
हैं कि हमारी नदियों और इन पर निर्भर हमारे समाज आज वैश्विक औपनिवेशिक-पूंजीवादी
और नवउदारवादी लूट के चलते गंभीर संकट और खतरों का सामना कर रही हैं। हम समझते हैं
कि जलवायु संकट भी इन आर्थिक राजनैतिक तथा सामाजिक अन्याय की प्रक्रियाओं की ही
देन है।
३. हम बांधो-
बैराजों, तटबंधों, बड़ी पनबिजली परियोजनाओं, अनियोजित वाणिज्यिक रेत खनन, नदी तट विकास के नाम पर बन रहे रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट, सीवेज और अपशिष्ट डंपिंग और बड़ी विनाशकारी परियोजनाओं के निर्माण
के विरोध में हैं। हम मानते हैं कि इन परियोजनाओं से नदी के पारिस्थितिक तंत्र का
वाणिज्यीकरण, निजीकरण, विनियोजन और शोषण के साथ और साथ में तटवर्ती नदी समाजों का
विस्थापन होता आया है इसलिए हम इनके पक्ष में नहीं!
४. हमारा मानना
है कि सरकारी और कॉर्पोरेट समर्थित नीतियों ने लोगों और उनके पारिस्थितिक तंत्र
के साथ-साथ अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम तटवर्ती समुदायों के बीच अलगाव और संघर्ष
पैदा किया है, जिससे गाँव, ज़िले, राज्य और राष्ट्रों की प्रशासनिक
सीमाओं के पार दोष और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया है।
५. हम प्रमुख
नदी/जल प्रबंधन व्यवस्थाओं की पूर्ण विफलता को पहचानते हैं और इनका खड़ंन करते हैं
क्यों कि ये मात्र औपनिवेशिक और आर्थिक इंजीनियरिंग की तकनीकी पर आधारित हैं, और जल विज्ञान,
भू-आकृति विज्ञान, समाज शास्त्र और नदी पारिस्थितिकी तंत्र के पारंपरिक ज्ञान की
अनदेखी करते आये हैं।
अतः हम यह संकल्प
लेते हैं कि हम निम्न मूल्यों और दिशाओं को आधार मानते हुए कार्य करेंगे:
१. हमारी नदियाँ
मुक्त बहने वाली और निर्मल जीवित इकाइयां हैं - हमारी प्राकृतिक दुनिया और समाज का
एक अमूल्य हिस्सा मानते हुए हम अपनी नदियों की रक्षा करेंगे।
२.हम
राजनीतिक/प्रशासनिक सीमाओं से उपर उठ कर - वर्ग, जाति, लिंग और जातीयता के विभाजन से परे
नदियों के विविध मूल्यों की एक साझा समझ का निर्माण करंगे।
३.सबसे अधिक हाशिए
पर रहने वाले तटीय समुदायों और उनके ज्ञान को साझा नदी संवादों के केंद्र में रखकर
एक बहु-अनुशासनात्मक लेंस के माध्यम से हमारे नदी इतिहास और समकालीन चुनौतियों और
खतरों पर खुद को शिक्षित करेंगे।
४.हम अपनी नदियों
के वस्तुकरण, विनियोजन, शोषण और प्रदूषण,
और ऐसी परियोजनाओं का जो नदियों और
नदी मूल्यों को खतरे में डालती हैं - के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे।
५. सबसे पहले कमजोर
छोटे किसानों और भूमि धारकों,
कारीगरों, मछुआरों, महिलाओं और अन्य हाशिए पर रहने वाले
समूहों के हितों को ध्यान में रखते हुए सततता, समानता, न्याय के सिद्धांतों के साथ हमारे
तटवर्ती उपयोगकर्ता अधिकारों को सुरक्षित करेंगे।
६. संकटग्रस्त
नदियों, नदी के पारिस्थितिकी तंत्र और निर्भर
तटवर्ती आजीविकाओं को पुनर्जीवित और नवीनीकृत करने पर निर्माण कार्य करेंगे!
७. न्यूनीकरणवादी
इंजीनियरिंग-आधारित जल ज्ञान और जलवायु समाधानों को अस्वीकार कर, जलवायु न्याय के समग्र दृष्टिकोण के आधार पर प्रकृति और समुदाय
केंद्रित जल और नदी प्रशासन की वकालत करेंगे।
८. विस्थापित और
वंचित तटवर्ती समुदायों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के लिए राज्य
से जवाबदेही लेनेके लिए संघर्ष करेंगे।
तीन दिन के इन सत्रों
को ,कोशी नवनिर्माण मंच,नर्मदा बचाओ आंदोलन,नदी घाटी मंच,कोशी विक्टिम सोसाइटी,काली गंडकी बचाओ अभियान,डिगो विकास संस्थान,पथ,चितवन कचहरी,नदी बचाओ जीवन बचाओ,गंगा मुक्ति आंदोलन,लखदेई बचाओ संघर्ष समिति एवम कुछ अन्य संस्थाओं ने मिल कर
आयोजित किया . भारत और नेपाल के साथ साथ इन सत्रों में
श्री लंका, इंडोनेशिया , थाईलैंड , फ्रांस के साथी भी आये और अपनी बात रखी .
सभी लोगों ने मिलकर
तय किया कि हम लोग पीपल्स डायलॉग लगातार आयोजित करेंगे, विशेषकर भारत नेपाल के बीच,
और आगे इसे अन्य नदियों के संबंधित लोगों के साथ जोड़ते जायेंगे।
(सन्दर्भ –एन ए पी एम-व्हाट्सउप ग्रुप,सोम्म्या दत्ता,राहुल यादुका ,महेंद्र यादव से बातचीत )
पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक
पानी पत्रक ( 141-29 फरवरी 2024 ) जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com