श्रमिकों को नकद वेतन देना अवैध है!
दिल्ली जल बोर्ड के सैकड़ों
सीवर कर्मचारी एकजुट,
दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग
के अध्यक्ष ने तत्काल कार्रवाई करने का वादा किया
पूरी दिल्ली से लगभग 300 कार्यकर्ता सार्वजनिक सुनवाई के लिए एकत्र
हुए और जूरी पैनल और दर्शकों के सामने अपनी शिकायतें साझा कीं। श्रमिकों द्वारा दी
गई गवाहियों से उनकी कामकाजी परिस्थितियों की चौंकाने वाली वास्तविकताएं सामने
आईं। पश्चिमी दिल्ली के पीतमपुरा के श्रमिकों ने कहा कि उन्हें कभी नहीं बताया गया
कि उनका सही वेतन क्या है और पर्यवेक्षक द्वारा बिना किसी रसीद के उन्हें नकद
भुगतान किया जाता है । एक कर्मचारी, जिसने अपना नाम नहीं बताना चाहा , ने कहा,
"हम
15 वर्षों से काम कर रहे हैं, कई ठेकेदार आते हैं और चले जाते हैं
लेकिन हमें अपनी 450 रुपये की दैनिक मजदूरी के लिए लड़ना पड़ता है! "
नवजीवन विहार में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि उन्हें दिवाली और दशहरे
के महीने में भी वेतन नहीं मिला और उनका परिवार तब से कर्ज लेकर गुजारा कर रहा है.
दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी
के एक कर्मचारी ने कहा कि उसे बिना किसी पूर्व सूचना के 7 दिसंबर को अचानक नौकरी
से हटा दिया गया और कारण भी नहीं बताया गया । एक अन्य मामले में, ईदगाह स्टोर के एक कर्मचारी ने वेतन न
मिलने पर सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन शिकायत दर्ज होने के बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया और तब से
किसी भी ठेकेदार ने उसे काम पर नहीं रखा है। ठेकेदारों द्वारा ऐसी डराने-धमकाने की
रणनीति का इस्तेमाल किया जाता है जो श्रमिकों को अपनी चिंताओं को व्यक्त करने से
रोकता है।
जूरी में शामिल दिल्ली सफाई
कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष संजय गहलोत ने श्रमिकों की दुर्दशा के मुद्दों का
संज्ञान लिया और आश्वासन दिया कि वह बकाया भुगतान जारी करने के लिए तत्काल
कार्रवाई करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सीवर श्रमिकों की नौकरियां सुरक्षित
रहें।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ
वकील, कॉलिन गोंसाल्वेस, जो जूरी पैनल का हिस्सा थे, ने श्रमिकों से कहा, “बिना नोटिस के आपको हटाना अवैध है!
आपका वेतन नकद में देना गैरकानूनी है ! आपको आपका पूरा वेतन न देना गैरकानूनी है!”
जूरी पैनल में सुप्रीम कोर्ट
के वकील कॉलिन गोंसाल्वेस,
पूर्व संसद सदस्य और एआईकेएस के
उपाध्यक्ष हन्नान मोल्ला,
राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति के
सदस्य इंदु प्रकाश सिंह शामिल रहे ; सीटू के राष्ट्रीय सचिव अमिताव गुहा; दिथी भट्टाचार्य, सेंटर फॉर वर्कर्स मैनेजमेंट के निदेशक अनिल वर्गीस, सामाजिक कार्यकर्ता व अध्यक्ष, निगरानी समिति, दिल्ली उच्च न्यायालय,
अधिवक्ता हरनाम सिंह, और मीना कोटवाल, संस्थापक संपादक, द मूकनायक ने 15 श्रमिकों की गवाही
सुनी और निम्नलिखित सिफारिशें दीं:
1. सभी संविदा सीवर
कर्मचारियों की बहाली और वेतन, भविष्य निधि और अन्य सामाजिक प्रतिभूतियों सहित सभी लंबित बकाया का
यथा शीघ्र भुगतान।
2. अकुशल श्रमिकों के लिए दिल्ली सरकार की न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना (
1 अक्टूबर 2022 ) के अनुसार, श्रमिकों को कम से कम ₹ 17,494/- प्रति माह न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए।
3. दिल्ली जल बोर्ड के 700 संविदा कर्मियों को नियमित करने के आम
आदमी पार्टी सरकार के प्रयास की सराहना करते हुए, सिफारिश की गयी कि 240 दिनों से अधिक काम करने वाले सभी संविदा
कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए और समय समय पर रोजगार में अंतराल को दिखावा और
फर्जी माना जाना चाहिए।
4. रिट याचिका (सिविल) 5232/2007 के अदालती आदेशों का अक्षरशः
कार्यान्वयन । साथ ही मृत्यु के मामले में ₹30
लाख की अनुग्रह राशि के भुगतान की सिफारिश करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक
20/10/2023 के आदेशों का कार्यान्वयन । जूरी ने यह भी सिफारिश की है कि मुआवजा
बिना किसी देरी के तुरंत दिया जाए।
5. सभी क्षेत्रों के सभी श्रमिकों के लिए ई एस आई और पहचान पत्र दिए
जाएँ
6. शिक्षण संस्थानों में सीवर श्रमिकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति
का प्रावधान हो
यूनियन नेताओं ने इन सिफारिशों
के साथ 29 दिसम्बर 2023 को दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ से संपर्क
करने का फैसला किया है और कर्मचारियों ने तब तक दिल्ली जल बोर्ड वरुणालय में
इकट्ठा होने का फैसला किया है जब तक उन्हें उनका उचित वेतन नहीं दिया जाता और उनकी
नौकरियां वापस नहीं दी जातीं।
जनसुनवाई का आयोजन दलित
आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (DASAM) द्वारा नगरपालिका श्रमिक लाल झंडा यूनियन (सीटू), दिल्ली जल बोर्ड सीवर विभाग मजदूर
संगठन, ऑल डीजेबी कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन, जल मल कामगार संघर्ष मोर्चा, दिल्ली जल जैसी यूनियनों के सहयोग से
किया गया था। इनके अलावा बोर्ड कर्मचारी
संघ, नेशनल कैंपेन फॉर डिग्निटी एंड राइट्स
ऑफ सीवरेज एंड अलाइड वर्कर्स (एनसीडीआरएसएडब्ल्यू) और पीपल्स मीडिया एडवोकेसी एंड
रिसोर्स सेंटर (पीएमएआरसी),
सीवरेज एंड अलाइड वर्कर्स फोरम
(एसएसकेएम, विमर्श मीडिया और मगध फाउंडेशन) जैसे
संगठन भी शामिल रहे
( वेव पोर्टल groundxero में आये समाचार का हिंदी में अनुवाद,सहमती से प्रकाशित )