रविवार, 10 नवंबर 2024

परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति ग्रामसभाओं के फर्जी और कूट रचित दस्तावेज बनाकर हासिल की गई - छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जन जाति आयोग

 ( आयोग ने ग्रामसभाओं के प्रस्ताव को फर्जी करार देते हुए राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अंतिम वन स्वीकृति शून्य करने की अनुशंसा की। ग्रामसभा और विधानसभा के संकल्प के विपरीत हसदेव के जंगल के विनाश के खिलाफ आगामी शीतकालीन सत्र में 1 लाख जन याचिकाएं सदन में प्रस्तुत की जाएँगी l ग्रामसभाओं के विरोध को कुचलकर आदिवासी , किसानो से उनके जंगल जमीन छीनकर पूंजीपतियों को देने के खिलाफ प्रदेश के 10 हजार गाँव में आयोग की रिपोर्ट सोंपी जाएगी)

हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति हेतु ग्रामसभा प्रस्तावों की राज्य अनुसूचित जन जाति आयोग ने जाँच कर ग्रामसभा प्रस्ताव को फर्जी और कूटरचित करार देते हुए वन स्वीकृति निरस्त करने की अनुशंसा की l हसदेव के आदिवासी और वन पर निर्भर अन्य समुदायों के संघर्ष की बड़ी जीत है l छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन राज्य सरकार से मांग करता है कि आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल कार्यवाही करते हुए खदान को जारी की गई वन एवं पर्यावरण स्वीकृति निरस्त करे एवं दोषी अधिकारीयों एवं खनन कम्पनी पर अपराधिक मामला पंजीबद्ध करें.  

 किसी भी परियोजना के लिए वन भूमि डायवर्सन (जंगल जमीन का गैर वानिकी कार्यो में उपयोग ) के पूर्व प्रभावित ग्रामसभाओं की सहमति एवं वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सभी वन अधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया पूर्ण होना अनिवार्य है | परसा कोल ब्लॉक के वन भूमि डायवर्सन के संबंध में प्रभावित गाँव साल्ही, हरिहरपुर एवं फतेपुर की ग्रामसभाओ ने कभी भी कोई सहमति का प्रस्ताव पारित नही किया | प्रभावित समुदाय द्वारा पिछले 6 वर्षो यह शिकायत की जा रही है कि परसा खदान के लिए फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव तैयार किये गए है l उनके व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के दावे भी लंबित है | ग्रामीणों की शिकायतों को नजरंदाज करते हुए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय एवं राज्य की वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा दिनांक 06-04-2022 को परसा कोल ब्लॉक को वन भूमि डायवर्सन की अंतिम स्वीकृति प्रदान की गई थी |

ग्रामीणों ने फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाने की शिकायत और जाँच करने की मांग पर दिनांक 03-08-2021 एवं दिनांक 22-07-2-2024 को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया | ग्रामीणों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए और दस्तावेजों के परीक्षण उपरांत दिनांक 30 मई, 2024 को आयोग द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया था | आयोग द्वारा दिनांक 10-09-2024 को इस पूरे प्रकरण पर जिला पंचायत, अम्बिकापुर, जिला सरगुजा के सभागृह में इस संबंध में विस्तृत सुनवाई का आयोजन किया गया | यह सुनवाई अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), उदयपुर, जिला वन मण्डलाधिकारी के प्रतिनिधि, दोनों पक्षों से उपस्थित अधिवक्ताओं और ग्रामीणों की मौजूदगी में हु ई| सुनवाई के दौरान ग्रामसभा कार्यवाही पंजी एवं अन्य दस्तावेजो का परीक्षण किया गया और आवेदक एवं अनावेदक पक्षों के कथन भी दर्ज किये गए |

विस्तृत सुनवाई उपरांत आयोग ने यह पाया कि ग्रामीणों की शिकायतें सही हैं , जिला प्रशासन के अधिकारी और खनन कम्पनी ने मिलीभगत करके ग्रामसभा के फर्जी कूटरचित दस्तावेज तैयार किये l आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि दिनांक 27 /1 /2018 को ग्राम साल्ही एवं दिनांक 24 /1 /2018 को ग्राम हरिहरपुर जो ग्रामसभा आयोजित की गई थीं उनमे वास्तव में ग्रामवासियों ने जिला पंचायत द्वारा भेजे गए एजेंडा क्रमांक 1 से 21 तक ही चर्चा कर प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित किया था l सुनवाई में उपस्थित ग्रामसभा के अध्यक्ष, उपस्थित तत्कालीन सरपंच, वर्तमान सरपंच, पंचायत के सचिव ने बिंदु क्रमांक 21 तक के प्रस्ताव सही होने की पुष्टि की l

कार्यवाही पंजी में ग्रामसभा के समापन और उसमे हस्ताक्षर उपरांत प्रस्ताव क्रमांक 22 जिसका विषय है कोल ब्लॉक प्रारंभ किये जाने बावत अनापत्ति के संबंध मेंयह प्रस्ताव ग्रामसभा सम्पन्न होने के पश्चात् कार्यवाही पंजी में दबावपूर्वक लिखवाया गया है जिसे ग्राम पंचायत सचिव द्वारा स्वीकार्य किया गया l सचिव ने पूछताछ करने पर ग्रामवासियों और उपस्थित जिला प्रशासन के अधिकारीयों के समक्ष यह स्वीकार किया कि 22 बिंदु प्रस्ताव की लिखापढ़ी उदयपुर के विश्राम गृह में की गई है l सरपंच, ग्रामसभा अध्यक्ष एवं सचिव के बयान के अनुरूप उक्त 22 बिंदु प्रस्ताव पर सरपंच और ग्रामसभा अध्यक्ष के दस्तखत कराने के लिए सचिव के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी सरपंच के घर गए थे l उक्त अतिरिक्त जोड़े गए प्रस्ताव क्रमांक 22 पर तत्कालीन सरपंच और ग्रामसभा अध्यक्ष दोनों ने हस्ताक्षर करने के स्पष्ट इंकार कर दिया l दूसरे दिन पुनः उदयपुर के विश्रामगृह में तत्कालीन सरपंच और ग्रामसभा अध्यक्ष दोनों को बुलाया गया और हस्ताक्षर करने के लिए दवाब बनाया गया परन्तु दोनों ने हस्ताक्षर नही किया l

दिनांक 26 /8 /2017 को ग्राम घाट्बर्रा के आश्रित गाँव ग्राम फतेहपुर की ग्रामसभा में परसा कोल ब्लॉक की वन एवं राजस्व भूमि के अन्नापत्ति के संबंध में पारित प्रस्ताव की स्व प्रमाणित प्रति पंचायत सचिव ने सुनवाई में प्रस्तुत की जिसमे ग्राम सभा की अध्यक्षता श्री रघुनाथ सिंह के द्वारा की गई l ग्रामसभा आयोजन के वक्त श्री रघुनाथ सिंह वार्ड पंच थे एवं उन्होंने अपने बयान में बताया कि उनसे जबरन अध्यक्षता करवाई गई और उस दिन खनन के संबंध में कोई चर्चा नही हुई थी l “छत्तीसगढ़ अनुसूचित क्षेत्र की ग्रामसभा (गठन, सम्मिलन की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन) नियम 1998” की धारा 10 के अनुसार ग्रामसभा की अध्यक्षता ग्रामसभा के अनुसूचित जन जातियों के किसी ऐसे सदस्य द्वारा की जाएगी जो ग्रामपंचायत का सरपंच, उपसरपंच या सदस्य न हो, कि फतेपुर की उक्त ग्रामसभा की अध्यक्षता पंचायत के सदस्य पंच द्वारा की गई थी इसलिए वह ग्रामसभा ही विधि विरुद्ध है और स्वमेव शून्य हैl इसी तरह दिनांक 22 /4 /2017 को ग्राम घाट्बर्रा की ग्रामसभा में परसा कोल ब्लॉक की वन एवं राजस्व भूमि के अनापत्ति के संबंध में ग्रामसभा ने कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया| प्रस्ताव कूटरचना करके विधि विरुद्ध तैयार किये गए है|

इन सभी बयानों और दस्तावेजो के आधार पर आयोग इस निष्कर्ष पर पहुचा है कि वन विभाग द्वारा भूमि व्यपवर्तन के लिए प्रस्तुत किये गए ग्रामसभा प्रस्ताव के दस्तावेज में कई अनियमितताएं है एवं विधि विरुद्ध और कूटरचित तरीके से लिखी गई हैl जिला कलेक्टर सरगुजा ने इन्ही फर्जी प्रस्तावों के आधार पर वन भूमि के व्यपवर्तन हेतु NOC जारी थी l और आयोग इस पर सिफारिश करती है कि दिनांक 06-04-2022 को परसा कोल ब्लॉक को जारी वन स्वीकृति को शून्य किया जाए और पुनः ग्रामसभा साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर में ग्रामसभा करने हेतु आहूत कर आयोग को अवगत करावें|

ज्ञात हो कि फर्जी ग्रामसभा का प्रभावित गाँव के लोग लगातार पिछले पांच वर्षो से विरोध करते आ रहे है | फर्जी ग्रामसभा की जांच की मांग को लेकर ग्रामवासियों ने जिले स्तर से लेकर तात्कालीन मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल को भी सरगुजा से रायपुर तक 300 किलोमीटर पदयात्रा करके ज्ञापन सौंपा | राज्यपाल द्वारा इस पर संज्ञान लेकर 23-10-2022 को छत्तीसगढ़ शासन, मुख्य सचिव को इस संबंध में जांच के आदेश जारी किये गए किन्तु इसकी कोई जांच नहीं हुई | राज्यपाल द्वारा आदेश में यह भी लिखा गया था कि जाँच होने तक सभी कार्यवाही स्थगित रखी जाये लेकिन वन विभाग के द्वारा पुलिस बाल लगाकर राज्यपाल के आदेश के विपरीत पेड़ो की कटाई करवा दी गई l यहाँ तक कि शासन एवं प्रशासन के द्वारा आयोग की रिपोर्ट का भी इंतजर नही किया गया और पेड़ो की कटाई करवाई गई जो दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह अडानी के नियंत्रण में कार्य कर रही है l आदिवासियों के साथ हुए अन्याय को ठीक करने के बजाए उनसे जबरन जंगल जमीन छीनकर कर विस्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है l फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर ही पिछले माह 17 अक्टूबर को जंगल की गैरकानूनी कटाई की गई और विरोध कर रहे ग्रामीणों पर गंभीर धाराओं में फर्जी अपराधिक मामले दर्ज किये गए .

राज्य सरकार से हम पुनः मांग करते हैं कि वन एवं पर्यावरण स्वीकृति निरस्त करे एवं दोषी अधिकारीयों एवं खनन कम्पनी पर अपराधिक मामला पंजीबद्ध करें एवं आदिवासियों के ऊपर दर्ज किये गए फर्जी मामले तत्काल रद्द किये जाएँ.

यदि राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही नही की गई तो छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन प्रदेश के जनवादी संगठनो और संवेदनशील नागरिको के साथ मिलकर एक लाख जन याचिकाएं आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत करेगाl राज्य स्तर पर व्यापक आन्दोलन के साथ ही आयोग की रिपोर्ट को प्रदेश के 10 हजार गाँव तक पहुचाकर लोगों के साथ संवाद किया जायेगाl

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भवदीय

शालिनी गेरा, आलोक शुक्ला, रामलाल करियाम, ठाकुर राम ओरकेरा, उजियार सिंह उइके

संयोजक मंडल सदस्य हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति

छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन

  (सन्दर्भ - छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन और हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की संयुक्त  प्रेस विज्ञप्ति )

पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक

पानी पत्रक (188–  10 नवम्बर 2024) जलधारा अभियान221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020, संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com

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