शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

‘खुद को भय से मुक्त करें’: पर्यावरण न्याय के लिए लड़ रहे कंबोडियाई युवा कार्यकर्ता

 

कंबोडियाई पर्यावरणवादी समूह मदर नेचर के दस सदस्यों को कथित तौर पर सरकार के खिलाफ़ साजिश रचने और राजा का अपमान करने के लिए छह से आठ साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन इसने युवा कार्यकर्ताओं को पर्यावरण न्याय के लिए लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए और भी ज़्यादा प्रोत्साहित किया है।

चंद्रावुथ, थुन राथा, कुंथिया, केओरक्समी, पिसेथ, रक्सा और खोयू को "साजिश रचने" के लिए छह साल की जेल की सजा सुनाई गई। सन राथा, गोंजालेज-डेविडसन और लींघी को "साजिश रचने" और "राजा का अपमान करने" के लिए 10,000,000 केएचआर जुर्माने के साथ आठ साल की जेल की सजा सुनाई गई।

मदर नेचर का नेतृत्व युवा कंबोडियाई लोग कर रहे हैं जो उन बड़ी-बड़ी विकास परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं जो ग्रामीणों को विस्थापित करने और आसपास के पर्यावरण को नष्ट करने की जिम्मेदार मानी जाती हैं। उनके कुछ अभियानों में, कारखानों से अपर्याप्त अपशिष्ट हटाने के परिणामस्वरूप नदी जल प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाला एक वीडियो प्रोजेक्ट, अवैध रेत तस्करी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और शाही महल के पास सीवेज प्रदूषण का दस्तावेज़ीकरण शामिल है।

 वे अपने अहिंसक प्रत्यक्ष कार्रवाई और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से अरेंग घाटी में एक जलविद्युत बांध के निर्माण को रोकने में कामयाब हुए । मदर नेचर कंबोडिया के फेसबुक पर 459,000 फ़ॉलोअर हैं। उन्होंने कोह कोंग प्रांत में वनों की कटाई, रेत खनन, कोह कोंग क्राओ द्वीप की सुरक्षा और नोम पेन्ह और सिहानोकविले में जल निकायों के अपशिष्ट और सीवेज प्रदूषण के खिलाफ भी अभियान चलाया है। उन्होंने भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन को भी चुनौती दी है, साथ ही लोकतंत्र का समर्थन भी किया है।

कार्यकर्ताओं को पहले 2020 में उनकी सक्रियता के कारण गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें 14 महीने तक जेल में रखा गया था।  2 जुलाई 2024 की सज़ा, 2020 और  2021 में किए गए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ सरकार की आलोचना करने वाली रिपोर्टों से संबंधित है।

गिरफ़्तार होने से पहले कार्यकर्ताओं ने सफ़ेद कपड़े पहने हुए अंतिम संस्कार की तरह जुलूस निकाला - कंबोडिया में शोक मनाने का पारंपरिक रंग। कार्यकर्ताओं में से एक थुन राथा ने एक तख्ती थामी हुई थी जिस पर लिखा था "न्याय मर चुका है"। जुलूस में करीब 50 लोग शामिल हुए।

 गिरफ्तार किए गए मदर नेचर के पांच कार्यकर्ताओं को जेल की सजा सुनाए जाने के बाद पांच अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया है, जो उनके घरों और परिवारों से कुछ सौ किलोमीटर दूर हैं। कार्यकर्ताओं को अलग-अलग करके यह सुनिश्चित करना कि उन्हें एक-दूसरे और उनके परिवारों से ज्यादा से ज्यादा  दूर रखा जाए, एक क्रूर और असामान्य सजा है, जिसकी कंबोडिया में कोई मिसाल नहीं है।

लिकाधो( मानव अधिकारों के संवर्धन और बचाव के लिए कम्बोडियन लीग) ने यह मानचित्र तैयार किया है, जिसमें दिखाया गया है कि मदर नेचर कंबोडिया के प्रत्येक कार्यकर्ता को कहां भेजा गया है

यह मामला कंबोडिया में पर्यावरण रक्षकों को लक्षित करने वाले राज्य समर्थि दमन के एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है। अप्रैल 2019 और जुलाई 2023 के बीच, कम्बोडियन सेंटर फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने 195 व्यक्तियों की गिरफ़्तारी का दस्तावेजीकरण किया, जिनमें से 22 को भूमि अधिकार सक्रियता के संबंध में विभिन्न आपराधिक आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था। अदालत के फ़ैसले और उनकी हिरासत की आशंका को देखते हुए, कई सदस्य जनता को संबोधित संदेश लिखने और फ़िल्माने में सक्षम थे। ली चंद्रवुथ ने कंबोडियाई लोगों से डर पर काबू पाने और पर्यावरण के बेतहाशा विनाश का विरोध करने का आग्रह किया। थुन राथा ने कहा कि वे उनके कारावास के बावजूद मज़बूत बने रहेंगे।

 भले ही समूह के पाँच सदस्य कारावास का सामना कर रहे हों, लेकिन मदर नेचर के सदस्यों ने पर्यावरण की वकालत करना और सरकार की कुछ बड़े पैमाने की परियोजनाओं के गंभीर प्रभाव के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना जारी रखा । मदर नेचर के सदस्यों ने अपने कैद साथी कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अभियान चलाना और पर्चे और पोस्टर वितरित करनाजारी रखा । ग्लोबल वॉयस के साथ एक ऑनलाइन साक्षात्कार में, मदर नेचर के एक सदस्य ने साझा किया कि समूह ने अपने सदस्यों पर आपराधिक आरोप लगाए जाने के बाद से अपनी रणनीति और प्रोटोकॉल कैसे बदले हैं । उन्होंने स्वच्छ भविष्य के लिए लड़ाई जारी रखने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई।

मदर नेचर के सदस्यों के उत्पीड़न की स्थानीय और वैश्विक नागरिक समाज समूहों द्वारा निंदा की गई है। ह्यूमन राइट्स वॉच, एमनेस्टी इंटरनेशनल और लिकाधो, कम्बोडियन लीग फॉर द प्रमोशन एंड डिफेंस ऑफ़ ह्यूमन राइट्स जैसे कई मानवाधिकार समूहों ने भी उनकी रिहाई की माँग की है। दिसम्बर 2024 के पहले सप्ताह तक, 104,000 से अधिक लोगों ने युवा कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करते हुए एक ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में कंबोडिया के स्थायी मिशन ने मदर नेचर के सदस्यों को स्वघोषित पर्यावरण कार्यकर्ताकहा है और इस बात पर जोर दिया है कि प्रतिवादियों को सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए, जिसमें वकील का अधिकार और निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के अधिकार के तहत आरोपों को गलत साबित करने का अधिकार शामिल है. 

(सन्दर्भ /साभार –The Cambodia daily , global voice ,REDD,)

पानी पर्यावरण से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक

पानी पत्रक ( 200 – 28 दिसम्बर 2024 ) जलधारा अभियान221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020, संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com




सोमवार, 23 दिसंबर 2024

भागलपुर में किसानों,मछ‌आरों और जल श्रमिकों का धरना प्रदर्शन

 बिहार सरकार ने भागलपुर ज़िले में घोरघट से लेकर कहलगांव और पिरपैंती तक गंगा में मछली मारने पर रोक लगाकर लगभग दस लाख से अधिक मछुआरों की आजीविका पर हमला किया है। इसी परिपेक्ष्य में  23 दिसम्बर 2024 को भागलपुर में गंगा मुक्ति आंदोलन,संयुक्त किसान मोर्चा मोर्चा, जल श्रमिक संगठन, गंगोत्री समाज एवं अन्य संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में भागलपुर समाहरणालय के सामने धरना एवं प्रतिरोध सभा आयोजित किया गया।

धरने में में जल श्रमिकों,मछुआरों और किसानों, महिलाओं तथा युवाओं ने जमकर हिस्सा लिया और घोषणा की यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में भागलपुर में शासन और प्रशासन को पूरी तरह ठप्प कर दिया जाएगा।

जिला अधिकारी प्रदर्शनकारियों से सामना करने तथा उनकी मांगों से जुड़े सवालों पर प्रसाशन का रुख रखने के बजाय पहले मिटिंग में व्यस्त होने का हवाला देते रहे और बाद में चुपके से निकल ग‌ए। बाद में जिला अधिकारी ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर एडीएम स्तर के अधिकारी को भेजा और आंदोलनकारी नेताओं ने उन्हें मांग पत्र सौंपा।जिसे  (आपके समर्थन के लिए ) यंहा दिया जा रहा है :-


सेवा में ,

जिला पदाधिकारी भागलपुर 

विषय : गंगा  मुक्ति आंदोलन , जल श्रमिक संघ , बिहार प्रदेश मत्स्यजीवी जल श्रमिक संघ एवं साथी संगठनों के धरना का मांग पत्र .

 महाशय ! 

 आज 23 दिसंबर 2024 को समाहरणालय पर आयोजित धरना के माध्यम से हम कहना चाहते हैं कि 

1.भागलपुर के गंगा नदी में सुल्तानगंज के जहांगीरा ( घोरघट पुल ) से पीरपैंती के हजरत पीरशाह कमाल  दरगाह तक बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य विभाग ने अपने ज्ञापांक 2294 /मत्स्य / पटना दिनांक 11 दिसंबर 1991 द्वारा पारंपरिक मछुओं हेतु शिकारमाही के लिए निःशुल्क घोषित किया है 

2 .निःशुल्क शिकारमाही की घोषणा के पूर्व ही पर्यावरणविभाग बिहार पटना द्वारा 22 अगस्त 1990 को सुल्तानगंज से कहलगांव तक विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी क्षेत्र घोषित किया जा चुका था .

3. सरकार ने निःशुल्क शिकारमाही के अधिकार को किसी भी आदेश से निरस्त नहीं किया है. 

4 .वन विभाग मौखिक रूप से जबरदस्ती कहता है कि उपरोक्त क्षेत्र में मछली पकड़ना मना है.मछली पकड़ने से रोकने के लिए तरह तरह का बेबुनियादझूठ और मनगढ़ंत आरोप मछुओं पर लगाया जाता है . सच्चाई ये है कि गैर मछुओं और सोसाइटी द्वारा गंगा में अवैध जाल चलाया जाता है और जिंदा धार में बाड़ी बांधा जाता है उसे वन विभाग कुछ नहीं कहता है . 

5. मछलियों के ब्रीडिंग सीजन में 3 महीने तक जब मछली पकड़ना प्रतिबंधित रहता है तो सरकार उस तीन महीने का 1500 ₹ की दर से 4500 ₹ मुआवजा देती है. तो यह कैसे हो सकता कि बगैर मुआवजा के मछली पकड़ना सालों भर प्रतिबंधित कर दिया जाय

6. वन विभाग यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि सोंस की स्वाभाविक उम्र कितनी है? उम्र पूरा कर , बीमारी से , कुपोषण से और प्रदूषण से वर्ष में कितने सोंस मरते हैं

7. विशेषज्ञों का कहना है कि क्रूज के चलन, फरक्का बराज और गंगा के प्रदूषण का, सोंस के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

8. वन विभाग नगर निगम / नगर परिषद / नगर पंचायत और एनटीपीसी पर गंगा को प्रदूषित कर डॉल्फिन मारने पर कोई कारवाई  या मुकदमा क्यों नहीं करती

9. वन विभाग के कहने पर तथा उसके रवैए के कारण मत्स्य विभाग मछुओं को निःशुल्क शिकारमाही का परिचय पत्र निर्गत करने में आना कानी और टाल मटोल करता है. 

10. वन विभाग अवैध रूप से बाड़ी (जो डॉल्फिन के लिए हानिकारक है )बांधने पर कोई कारवाई क्यों नहीं करता

 

 इस परिप्रेक्ष्य में हम मांग करते हैं कि 

(a)मछुओं को मछ्ली पकड़ने से रोकने और प्रताड़ित करने का मुकदमा वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर चलाया जाय . ज्ञात हो कि 14 दिसंबर 2024 को कहलगांव के मछुओं का जाल किनारे पर से उठा लिया गया एवं महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया है .

( b ) वन विभाग द्वारा बाड़ी बांधने के एवज में किए जा रहे अवैध वसूली से रोका जाय 

(c) बिहार सरकार द्वारा घोषित निःशुल्क शिकारमाही के अधिकार को  कारगर और सक्रिय किया जाय . इसके लिए निःशुल्क शिकारमाही के परिचय पत्र बनाने की प्रक्रिया तेज की जाय .

(d) गंगा में एनटीपीसी द्वारा प्रवाहित जल तथा शहर के गंदे पानी को गंगा में गिरने से रोका जाय 

(e) पीरपैंती में थर्मल पावर स्टेशन बनने से गंगा का प्रदूषण स्तर बढ़ेगा इसलिए उसे रोककर सोलर बिजली घर बनाया जाय .

(f) गंगा की निर्मलता बरकार रखने , डॉल्फिन को दुष्प्रभाव से बचाने , बाढ़ की विभीषिका और जल जमाव  कम करने तथा गंगा में मछली बढ़ाने हेतु फरक्का बराज के सभी गेट खोल दिए जाएं या उसके नीचे सुरंग बनाया जाय .

 (g) नदी आधारित मछुओं को वैकल्पिक मत्स्य पालन और रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं .

( h) पारंपरिक मछुओं की आजीविका सुनिश्चित करने हेतु फ्री फिशिंग एक्ट बनाने की प्रक्रिया चलाई जाय .

                                            निवेदक 

गंगा मुक्ति आंदोलन 

जल श्रमिक संघ 

बिहार प्रदेश मत्स्यजीवी जल श्रमिक संघ 

संयुक्त किसान मोर्चा 

राष्ट्र सेवा दल 

पसमांदा मुस्लिम महाज

(सन्दर्भ – अनिल प्रकाश और उदय की फेसबुक वाल )

पानी पर्यावरण से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक

पानी पत्रक (199 – 24 दिसम्बर 2024 ) जलधारा अभियान221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020, संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com




 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

सियांग घाटी के लोगों ने राज्य सरकार के दबाव का जवाब शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से दिया

 14,15 और 16 दिसम्बर 2024 को अरुणाचल प्रदेश की सियांग घाटी के लोगों ने प्रस्तावित सियांग अपर मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट (SUMP) के खिलाफ बड़े शांतिपूर्ण एकजुट होकर जोरदार प्रतिरोध किया है, जबकि राज्य सरकार ने बल और दबाव के जरिए विरोध को विफल करने का प्रयास किया ।

विरोध प्रदर्शन राज्य सरकार द्वारा 12,500 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के लिए पूर्व-व्यवहार्यता सर्वेक्षण की निगरानी के लिए 9 दिसंबर 2024 सैकड़ों केंद्रीय और राज्य सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात करने के प्रयासों के विरोध में किया गया ।

अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा 6 दिसंबर, 2024 को सियांग बांध के पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन की सुविधा के लिए सियांग जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात करने की अधिसूचना ने वंहा के लोगों को चिंतित कर दिया । तीन सियांग जिलों - अपर सियांग, ईस्ट सियांग और सियांग के डिप्टी कमिश्नरों को लिखे पत्र में गृह सचिव ने बल की तैनाती के लिए आवश्यक आवास और रसद सुविधाओं के प्रावधान का अनुरोध किया, “ जिसमें महिला पुलिस कर्मी भी शामिल हैं, जो संभवतः 15 दिसंबर तक उपलब्ध होंगे “.

अरुणाचल प्रदेश के गृह सचिव के संचार में यह भी कहा गया है कि राज्य सशस्त्र बलों को सियांग, अपर सियांग और पूर्वी सियांग जिलों के गेकू, पारोंग और पासीघाट सहित उन गांवों में तैनात किया जाएगा, जहां लोग इस परियोजना से प्रभावित होंगे ।

 सरकार के इस कदम को लेकर,सियांग, पूर्वी सियांग और ऊपरी सियांग जिलों के गांवों के प्रतिनिधि, जहां सैकड़ों केंद्रीय और राज्य सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात किया जाना था, प्रस्तावित तैनाती का विरोध करने के लिए  15 दिसम्बर 20 24 को पारोंग में एकत्र हुए। बाद में, उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को एक याचिका प्रस्तुत की, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में पीएफआर सर्वेक्षण और एसयूएमपी के निर्माण का कड़ा विरोध किया गया। उन्होंने तैनाती के आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की।

याचिका में कहा गया हम मांग करते हैं कि सियांग क्षेत्र में सशस्त्र बलों की तैनाती के बारे में कोई भी निर्णय परियोजना से प्रभावित अधिकांश परिवारों की सहमति से लिया जाए। हम बांध के बारे में हमारी सहमति के लिए किसी भी तरह के दबाव या दबाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसलिए, हम सियांग क्षेत्र से किसी भी अर्धसैनिक या सैन्य बलों की तत्काल वापसी की मांग करते हैं, क्योंकि उनकी उपस्थिति अवैध और असंवैधानिक है। हम ऐसी परियोजना को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं होंगे  और न ही डरेंगे,जो हमारे जीवन के तरीके को खतरे में डालती है। हम सरकार से हमारे अधिकारों और कानून का सम्मान करने और प्रस्तावित परियोजना को छोड़ने का आग्रह करते हैं,”

विरोध प्रदर्शन में सभी आयु समूहों के प्रतिभागियों के साथ-साथ विभिन्न समुदाय-आधारित संगठनों के सदस्यों, स्टूडेंट्स संगठनो ने भी परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर प्रदर्शन किया।।

 स्थानीय समुदाय इस क्षेत्र की भूगर्भीय नाजुकता को उजागर करते हुये बताते हैं कि यह छेत्र  ढीली तलछटी चट्टानों से बना है और भूकंपीय क्षेत्र V में स्थित है, जो इसे "बांध जैसे किसी भी बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए अनुपयुक्त बनाता है।" वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि बड़े पैमाने पर बांध परियोजनाएं अनावश्यक हैं और क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक हैं।

 सार्वजनिक समर्थन के बारे में सरकार के दावों की वैधता पर सवाल उठाते हुए, समुदाय के लोग मांग करते हैं, “अगर सरकार मानती है कि लोग इस परियोजना का समर्थन करते हैं, तो एक निष्पक्ष जनमत संग्रह होना चाहिए, जिसकी गवाही एक स्वतंत्र तीसरे पक्ष द्वारा दी जाए, जहाँ केवल प्रभावित परिवार ही मतदान करें।

 प्रदर्शनकारीओं के मुताबिक यह परियोजना 2014 के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले का भी उल्लंघन करती है, जिसमें कहा गया था कि बांध निर्माण में सभी कानूनी प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि सियांग जिला प्रशासन ने कथित तौर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी अधिनियम, 2006 का उल्लंघन करते हुए परियोजना के लिए सहमति बनाने के लिए ग्राम सभा के हस्ताक्षरों का दुरुपयोग किया.

लोअर सियांग एचईपी (2,700 मेगावाट) और अपर सियांग एचईपी स्टेज-II (3,750 मेगावाट) के लिए सरकार की शुरुआती योजनाओं को पहले से ही दो दशकों से अधिक समय से विरोध का सामना करना पड़ रहा था। बढ़ते डर और विरोध के बीच, नए अध्ययनों के बिना क्षमता को 11,000 मेगावाट तक बढ़ा दिया गया, जिससे विरोध की लहर शुरू हो गई । अगस्त 2024 में, पहला सर्वेक्षण प्रस्तावित किया गया, जिसके कारण ग्रामीणों ने सियांग स्वदेशी किसानों के मंच के नेतृत्व में डिटे डाइम और गेकू में विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला आयोजित की।

प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की कि वे परियोजना को स्वीकार नहीं करेंगे या सीधे प्रभावित परिवारों की बहुमत सहमति के बिना अपने गांवों में सशस्त्र बलों की उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने अर्धसैनिक बलों की तत्काल वापसी की मांग की, और कहा कि उनकी तैनाती असंवैधानिक और बलपूर्वक है। ग्रामीणों ने आगे चेतावनी दी कि SUMP परियोजना उनके पर्यावरण, आजीविका और पारंपरिक जीवन शैली के लिए एक अस्तित्वगत खतरा है। उन्होंने सरकार से परियोजना को छोड़ने और स्थानीय समुदायों के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह किया।

 ( सन्दर्भ – The arunachal times ,wire , Business and human rights resource center ,SANDRP,Eastern Sentinel  )

पानी पर्यावरण से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक

पानी पत्रक (198 – 20 दिसम्बर 2024 ) जलधारा अभियान221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020, संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com



 

  

पाकिस्तान की कृषि बर्बाद हो रही है: आर्थिक सर्वेक्षण ने सरकारी नीतियों की विफलता को उजागर किया

पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र ढह रहा है - और इसका दोष पूरी तरह से शहबाज शरीफ सरकार की विनाशकारी नवउदारवादी नीतियों पर है। संघीय बजट से पहले 9 ज...