शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

जलवायु परिवर्तन के लिए प्रकृति का समाधान :

 आर्द्रभूमियाँ

अतीत में आर्द्रभूमि – दलदल, पीटलैंड, बाढ़ वाले जंगल, मैंग्रोव - को व्यापक रूप से, बीमारी और खतरे से भरी अनुत्पादक बंजर भूमि माना जाता था। ऐसी समझ के साथ लोगों और सरकारों का मानना था कि एकमात्र अच्छी आर्द्रभूमि, सुखी हुई आर्द्रभूमि होती है ।

लेकिन, आज हम को, वैज्ञानिक तथ्यों और अपने अनुभव से यह समझ में आ गया है कि यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, टिकाऊ समाज का एक अनिवार्य और बेहद जरुरी घटक है और जैव विविधता मानव जीवन व कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। हमें जीवित रहने और फलने-फूलने के लिए आर्द्रभूमि सहित प्रकृति का पोषण करने की आवश्यकता है।

लेकिन जैसे ही यह एहसास हुआ, तब हमने यह भी जाना कि दुनिया की जैव विविधता खतरनाक गिरावट के दौर से गुजर रही है, प्रजातियों के विलुप्त होने की दर तेज हो रही है और आर्द्रभूमियां तेजी से गायब हो रही हैं।

वेटलैंड्स ग्रह के सबसे अधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक  हैं, जो विशाल जैव विविधता का समर्थन करते हैं । ये अपेक्षाकृत, छोटे, एकल पौधों, मछलियों, पक्षियों, सरीसृपों और स्तनपायी की सैकड़ों,  प्रजातियों का घर होते हैं - जो कि वर्षावनों और प्रवाल भित्तियों की तुलना में एक लघु प्राकृतिक समृद्ध छेत्र बनाते हैं .

लेकिन जलते हुए वर्षावनों के विपरीत, विश्व स्तर पर आर्द्रभूमि की गिरावट पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि हम प्राकृतिक वनों की तुलना में आर्द्रभूमियों को तीन गुना तेजी से खो रहे हैं।

हमारा ध्यान न देना एक गलती है क्योंकि आर्द्रभूमियाँ बड़ी संख्या में लोगों को लाभ पहुँचाती हैं। ये लाभ, या कहें 'पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ', जैव विविधता का प्रत्यक्ष कार्य हैं । वे हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं और अत्यधिक आर्थिक मूल्य रखती हैं . जल शुद्धिकरण और अपशिष्ट उपचार, बाढ़ नियंत्रण और तूफान सुरक्षा, कार्बन भंडारण और पृथक्करण, मत्स्य पालन का मूल्य विश्व स्तर पर सालाना करीब 45 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

आर्द्रभूमियाँ जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। मैंग्रोव और तटीय आर्द्रभूमियाँ कार्बन को अलग करती हैं, जबकि पीटलैंड विशाल कार्बन भंडार हैं जिन्हें वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई को रोकने के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर, आर्द्रभूमियाँ पृथ्वी की सतह के 6% हिस्से को कवर करती हैं, लेकिन महत्वपूर्ण मात्रा में कार्बन को 'अवरुद्ध' कर देती हैं।

कुछ आर्द्रभूमियाँ जल प्रवाह को नियंत्रित करती हैं, जिससे बाढ़ कम होती है। अन्य  शुष्क अवधि और सूखे के दौरान पानी उपलब्ध करा सकते हैं । प्राकृतिक आपदाओं के बाद जब सरकारें अक्सर समुदायों का समर्थन करने के लिए संघर्ष करती हैं, तो आर्द्रभूमियाँ भोजन और निर्माण सामग्री जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन भी प्रदान कर सकती हैं । सभी आर्द्रभूमियाँ ये सभी लाभ प्रदान नहीं करेंगी, लेकिन वे प्रत्येक समाज को अपने स्वयं के अनूठे अवसर प्रदान करती हैं और इस प्रकार समुदायों के कठिन समय में जीवन यापन  में योगदान करते हैं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के सामने ।

आर्द्रभूमि और संबंधित जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट नहीं है।  जबकि उनके अत्यधिक मूल्य के बावजूद, हम आर्द्रभूमियों को चिंताजनक दर से खो रहे हैं।  सन 1700 के बाद से 87% वैश्विक आर्द्रभूमि नष्ट हो गई है, जिसमें सबसे बड़ा अनुपात 20वीं और 21वीं सदी की शुरुआत में नष्ट हुआ है। कृषि, शहरी और औद्योगिक विकास, आक्रामक गैर देशज प्रजातियों का आगमन, प्रदूषण और अत्यधिक दोहन- सभी आर्द्रभूमि के निरंतर क्षरण में योगदान करते हैं। अभी के समय में अंतर्देशीय (रामसर) स्थलों में आर्द्रभूमि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन-संचालित बदलावों को मापने के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग और मिट्टी की नमी के अनुमान का उपयोग किया जाता है। अनुमान है कि 1980-2014 के दौरान शुद्ध वैश्विक आर्द्रभूमि क्षेत्र का विस्तार हुआ (हो सकता है कि नयी रामसर साईट डिक्लेयर करने के कारण ) , लेकिन 47% साइटों में आर्द्रभूमि का नुकसान हुआ.  2100 तक, कम से कम 6,000 किमी2 (लगभग 1%) की शुद्ध क्षेत्र हानि का अनुमान है। सिकुड़न के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील स्थल भूमध्य सागर, मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में स्थित हैं - ये सभी मौसमी जलपक्षी प्रवासन के हॉटस्पॉट हैं।

तो आर्द्रभूमियों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है? वैसे तो  कोई एकल समाधान नहीं है, लेकिन रामसर कन्वेंशन, आर्द्रभूमि के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग की  एक अंतरराष्ट्रीय संधि, हमारा मार्गदर्शन करती है । “सतत विकास” के मुख्यधारा बनने से बहुत पहले, 1973 में कन्वेंशन के संस्थापकों द्वारा गढ़ा गया 'बुद्धिमानी पूर्वक उपयोग' एक अत्यधिक प्रगतिशील वाक्य था, और यह आज भी बना हुआ है।

बुद्धिमानी पूर्ण उपयोग के पीछे केंद्रीय विचार यह है कि जब लोग आर्द्रभूमि को प्रभावित करने वाले निर्णय लें, तो आर्द्रभूमि द्वारा प्रदान किए जाने वाले सभी लाभों पर विचार किया जाना चाहिए और उन्हें शामिल किया जाना चाहिए।

आर्द्रभूमि के बुद्धिमानी  पूर्वक उपयोग के उदाहरणों में शामिल है.- जब श्रीलंका की राजधानी कोलंबो शहर के नीति निर्माताओं ने यह जाना कि आर्द्रभूमि बाढ़ को रोकने में मदद करती है तब उन्होंने शहर को  बाढ़ से बचाने और अन्य लाभों के लिए शहर और उसके आस पास के इलाकों में आर्द्रभूमि के स्थानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी । भारत में बिहार प्रदेश, कई गरीब समुदायों को भोजन, मछली और अन्य वस्तुओं के प्रावधान के लिए आर्द्रभूमि के संरक्षण पर दिशानिर्देशों के विकास के साथ एक और उदाहरण प्रदान करता है । इसी तरह पूर्वी अफ्रीका में, शोधकर्ताओं ने समुदायों के साथ मिलकर आर्द्रभूमियों को इस तरह से स्थायी रूप से संरक्षित करने में मदद करने के लिए दृष्टिकोण विकसित करने के लिए काम किया है जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है और आजीविका में वृद्धि होती है, जो बुद्धिमानीपूर्ण उपयोग की दिशा में एक और कदम है।

फिर भी, रामसर कन्वेंशन और अन्य पहलों के सभी प्रयासों के बावजूद, आर्द्रभूमि का नुकसान तेजी से जारी है। यह निरंतर हानि लोगों की भलाई, समृद्ध समाज और अंततः मानव अस्तित्व के लिए एक जोखिम है।

 जलवायु परिवर्तन के इस समय में प्रकृति के साथ हमारा रिश्ता ज्यादा जटिल हो गया है । प्रकृति के कई रूपों  को खतरे के रूप में देखने की पिछली धारणाएँ काफी हद तक समझ में आ गयीं हैं, इसलिये  अब हमें एहसास होना चाहिए कि हम प्रकृति को नुकसान पहुँचाते हैं और आर्द्रभूमियों को नष्ट करते हैं तो खतरा हमारे लिए ही है।

इस विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2 फरवरी 2024 पर, हम वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और परिवर्तन में लगे साथियों से आर्द्रभूमि के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने और बुद्धिमानी से उपयोग को प्रेरित करने के तरीके खोजने में मदद करने का आह्वान करते हैं। अब आवश्यकता प्रकृति का पोषण करने की है, उससे युद्ध करने की नहीं। आर्द्रभूमियों की रक्षा करना उनके द्वारा समर्थित समृद्ध जैव विविधता और हमारे अपने अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।

(संदर्भ-एन्विरोंमेंटल रेजिल्लिएंस इंस्टिट्यूट,नेचर जर्नल ,इन्टरनेशनल वाटर इंस्टिट्यूट)

 पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलनपानी पत्रक        

पानी पत्रक(138- 2 फरवरी 2024)जलधारा अभियान,221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com



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