बंदरगाह कर्मचारी 28 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
( यह हड़ताल, देशभर के बंदरगाह कर्मचारियों द्वारा निजीकरण प्रस्तावों को
वापस लेने और रिक्त पदों को भरने और बोनस बकाया भुगतान, जैसी मांगों को लेकर आयोजित की जा
रही है )
विशाखापत्तनम और देश भर में,
बंदरगाह के कर्मचारी 28 अगस्त से
अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने जा रहे है. यह हड़ताल,निजीकरण के प्रस्तावों को
वापस लेने और रिक्त पदों को भरने और बोनस बकाया भुगतान, जैसी मांगों को लेकर आयोजित की
जा रही है। दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के बंदरगाह शहर थूथुकुडी में इस महीने हुई बैठक
के बाद कर्मचारी समूह ने हड़ताल का आह्वान करने पर सहमति जताई। यह हड़ताल
राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर हो रही है, जिसमें बंदरगाह संघों के सदस्य
शामिल हैं।
हड़ताल की
मुख्य मांगें
हड़ताल की मुख्य मांगों में से
एक बंदरगाह संपत्तियों और जमीनों के
मुद्रीकरण के प्रस्तावों को वापस लेने की भी है। कर्मचारियों का कहना है कि इन
प्रस्तावों से बंदरगाहों की राष्ट्रीय संपत्ति को निजीकरण के माध्यम से बेचा जा
रहा है या फिर लीज पर दिया जा रहा है जैसे की विशाखापतनम बंदरगाह पोर्ट ट्रस्ट ने
,शहर के मुख्य स्थान सलिग्राम्पुरम में 17 एकेड जमीन रहेजा ग्रुप को 30 साल के लिए 125 करोड़ रूपये में लीज पर दे दी, जिसका उपयोग रहेजा ग्रुप,
मॉल बनाने के लिए कर रहा है .
इसके आलावा ,कर्मचारी रिक्त
पदों को भरने की भी मांग कर रहे हैं, जिससे बंदरगाहों के सुचारू संचालन में सुधार हो सके और
कर्मचारियों के अतिरिक्त कार्यभार को कम किया जा सके।
साथ ही ,बोनस का बकाया भुगतान का
मुद्दा भी है , जो लंबे समय से लंबित है।
बंदरगाह अस्पताल की जमीन बेचने का आरोप
विशाखापतनम पोर्ट ट्रस्ट के स्स्वामित्व का और उसके
दुआरा ही संचालित ,शहर के कैलासपुरम में 1.2 एकड़ जमीन पर बना हुआ , तथा जिसके
साथ 4 एकड़ खाली जमीन भी है , 80 बिस्तरों वाला, गोल्डन जुबली
हॉस्पिटल, को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप
के तहत निजीकरण करने का एक प्रस्ताव ट्रस्ट दुआरा भारत सरकार को भेजा है. जिसे
लेकर बन्दरगाह के वर्तमान कर्मचारियों,
जिनकी संख्या 2600 है ,के साथ साथ ट्रस्ट के पेंशेर्स, जिनकी संख्या 16000 है (करीब 19000 परिवार ) में भी काफी नाराजगी और रोष है, और उन्होंने
इसका जोर दार तरीके से विरोध भी किया है . उनका
कहना है की यदि हॉस्पिटल का निजीकरण किया गया तो इलाज की लगात बढ जाएगी जिसका
खामियाजा हम लोगों को उठाना पड़ेगा
वे आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार
आधुनिक और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर धोखा दे रही है और निजी निवेशकों को
बंदरगाह अस्पताल में प्रवेश देकर स्वास्थ्य सेवाओं को निजीकरण की ओर धकेला जा रहा
है।
वेतन समझौता
और केंद्र सरकार पर आरोप
कर्मचारियों का आरोप है कि 1 जनवरी,
2022 को गठित वेतन समझौता समिति अब तक
आठ बैठकें कर चुकी है, लेकिन 32 महीने बीत जाने के बाद भी समझौते
पर सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने केंद्र सरकार पर ‘अन्यायपूर्ण’ शर्तें लगाने का आरोप लगाया, जो वेतन समझौते को अंजाम तक नहीं
पहुंचने दे रही हैं। केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर मजदूर विरोधी और जन विरोधी
नीतियों को पुनर्जीवित करने का आरोप भी लगाया गया है
भारत के बंदरगाह कर्मचारियों की
इस हड़ताल का प्रभाव केवल देश तक सीमित नहीं रहेगा। एशिया और यूरोप के बंदरगाहों
पर पहले से ही भीड़भाड़ की समस्या है, और इस हड़ताल से शिपमेंट में और देरी हो सकती है। इसके
चलते व्यापार और वाणिज्य पर वैश्विक स्तर पर असर पड़ने की संभावना है।
विशाखापत्तनम बंदरगाह के कर्मचारियों ने बताया ‘ यह हड़ताल केवल उनके अधिकारों और
मांगों के लिए संघर्ष नहीं है बल्कि निजीकरण के रथ पर सवार मोदी सरकार से हिसाब
लेने का आह्वान है। हमारी यह हड़ताल देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे पर भी एक
महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी .
पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलन –पानी पत्रक (168-27 अगस्त 2024)जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com
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