वित्तीय वर्ष 2025- 26 में बजट अनुमान 50,65,345 करोड़ रुपए का है। जिसमें केन्द्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 3412.82 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है जो 2024-25 के प्रावधानों 3330.37 करोड़ रुपए से थोड़ा मात्र ,82.45 करोड़ रुपए, बढ़ा है। यदि वास्तविक मूल्य ( एक वर्ष में बदी महंगाई ) के आधार पर इस साल के आबंटन का मुल्यांकन किया जाए तो यह पिछले साल के आबंटन से कम भी हो सकता है .
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन को मिले
वर्तमान बजट में केन्द्रीय योजना/परियोजनाओं के लिए 1060.56 करोड़ रुपए, पर्यावरण वानिकी और वन्यजीव के लिए 720 करोड़ रुपए, हरित भारत राष्ट्रीय मिशन के लिए 220 करोड़ रुपए, प्राकृतिक संसाधन और पारिस्थितिकी
तंत्र संरक्षण के लिए 50 करोड़ रुपए, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के
लिए 35 करोड़ रुपए, प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट
के लिए 290 करोड़ रुपए आदि का प्रावधान किया गया
है।यह देश के बिगङे पर्यावरण के हालतों के मद्देनजर काफी कम है। जबकि विश्व के 10 सबसे प्रदुषित शहरों में 09 हमारे देश के है तथा सबसे ज्यादा
प्रदुषित 10 देशों में भारत तीसरे स्थान पर है।नवीनतम
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई)
2024 के
अनुसार, भारत 180 देशों में 176वें स्थान पर है,
जो इसे पर्यावरणीय स्थिरता के मामले
में सबसे निचले प्रदर्शन वाले देशों में से एक बनाता है।
केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण मंडल के अनुसार अध्ययन की गई 521 नदियों में से 351 प्रदुषित पांच गई। जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में तापमान बढ़ोतरी, बारिश के पेटर्न में बदलाव,सुखे की स्थिति में बढ़ोतरी, भूजल स्तर का गिरना, ग्लेशियर का पिघलना,तीव्र चक्रवात, समुद्र का जलस्तर बढ़ना, राज्यों में भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं,हवा की बहुत ही खराब गुणवत्ता आदि प्रमुख है।
स्विस रे की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को 2023 में एक लाख करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है। एशियन डवलपमेंट बैंक की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण 2070 तक भारत की जीडीपी में 24.7 प्रतिशत का घाटा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के बढ़ते स्तर और घटती उत्पादकता नुकसान के सबसे बड़े कारण बनेंगे। रिपोर्ट के अनुसार अनुमान लगाया है कि दुनिया भर में तापमान वृद्धि के अनुकूल होने के लिए क्षेत्रीय देशों को हर साल 102 अरब डॉलर से 431 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।
पर्यावरण सुधार के कार्य राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को करना
होता है, परन्तु उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने
से वे सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं। खासकर शहरी विकास के बजट प्रावधानों में
पर्यावरण और स्वच्छता का बजट बढ़ना चाहिए।
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित की मांग है कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन के कारण
सबसे अधिक प्रभावित कमजोर तबकों के लिए वित्तीय प्रावधान किया जाए।
( सन्दर्भ /साभार - बरगी
बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ(राज कुमार सिन्हा) की प्रेस रिलीज़)
पानी पत्रक (210– 05 फरवरी 2025) जलधारा अभियान, 221,पत्रकार
कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020, संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें