शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

हरिहरपुर के लिये,काफिला बढता गया

 पुलिस को पीछे हटना पड़ा

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पाउन निगम को, आवंटित कोयला खदानों, जिनका एमडीओ अडानी समूह के पास है , मै पेडो की कटाई के खिलाफ हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के आवाहन पर नागरिक प्रतिरोध मार्च में बड़ी संख्या में  आदिवासी गावों एवं रायपुर, विलासपुर  व अन्य शहरों के लोग, सरगुजा जिले के विकासखंड उदयपुर अंतर्गत ग्राम हरिहरपुर पहुंचे । हालाकी पुलिस ने रायपुर, बिलासपुर, कोरवा समेत कई जिलों में बडी संख्या में उन लागों को रोका जो हसदेव अरण्य में स्तिथ इस गाँव  जाना चाहते थे।

पुलिस ने हसदेव के हरिहरपुर जाने वाले रास्तों पर तगडी घेरा बंदी की थी। लेकिन जब लोगों का काफिला बढ़ता गया तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा। छत्तीसगढ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुकला ने बताया की करीब 50 संगठनो के, पांच हजार लोग प्रशासन द्वारा खडी की गई तमाम बाधाओं के बावजूद, हरिहरपुर पहुँच गये।. । कई जगह पर पुलिस से बहस के बाद बेरिकेटिंग तोड कर मार्च किया गया। छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन  के आलोक शुक्ला, छतीसगढ़ किसान सभा के संजय पराते औऱ उनके साथीभी पुलिस से बहस के बाद बेरिकेड हटा कर हरिहर पुर पहुंचे . प्रशासन ने हसदेव क्षे़त्र के गांव के वासियों को भी अपने गांव से निकलने पर प्रतिबंध लगाया । जब लोगों ने हाइवे जाम करने की धमकी दी तब इस प्रतिबंध को खत्म किया गया और गांवों के लोग सभा स्थल पर पहुंच पाये । इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी थे । करीब तीन हजार महिलाएं थी, जिनमें से काफी  के साथ बच्चे भी थे . गाँव से आने वाले  प्रदर्शनकारिओं के हाथों में तिरंगा झंडा था. काफी आदिवासी पारम्परिक हथियार भी अपने साथ लेकर आये । संयुक्त किसान मोर्चा ने लगभग दो हजार से जादा लोगों को रोकने करने का आरोप लगाया, उन्होंने  कहा कि सरकार द्वारा दुर्ग, बस्तर, रायपुर, बिलासपुर, कोरवा व सरबुजा से आने वाले करीब दो सौ से ज्यादा  वाहनों को रोका गया।

 गाँव से आने वाले बहुत से प्रदर्शनकारी अपने अपने घर से चांवल, दाल, आलू व अन्य खाने की सामग्री लेकर पहुंचे थे। जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने इसके लिये आवाहन भी किया था. इस सामग्री से प्रीतिरोध मार्च में आये लोगों को भोजन बनाकर ,भोजन करवाया गया एवं बची हुई सामग्री हरिपुर में ही  675 दिन से धरने पर बैठे आंदोलनकारी साथीयों दे दी गयी ।(खबर विलासपुर का यह यू टूयब जरुर देखिये –लिंक https://www.youtube.com/watch?v=XeK0rmdcwg0)

हरिहपुर में, छत्तीस गढ़ बचाओं आंदोलन के आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ किसान सभा के संजय पराते, भारतीय किसान युनियन के प्रविण श्योकर , पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर, आदिवासी सभा के सौरा यादव ने सभा को संबोधित किया. आप पार्टी, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी, मार्क्सवादी कम्न्यूस्ट पार्टी, भाकपा माले- रेड स्टार  और लिबरेशन , गोडवाना गणतंत्र पार्टी के कार्यकर्त्ता भी मौजूद थे एवं इनके  प्रतिनिधियों द्वार भी  सभा को संबोधित किया गया और उन्होंने आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता प्रकट की ।

जब कुछ पत्रकारो और  यूट्यूर्बस ने सभा में आये गाँव के लोगों विशेषकर आदिवासी लोगों से बात की तो उन्होने सीधे सीधे कहा कि वो जंगल बचाने आये हैं,जंगल कटना नहीं चाहिए । आदिवासी सिर्फ पेड़ों को बचाने की बात नहीं कर रहे थे वे वहां के जीव-जन्तुओं,हाथी की और नदी पानी को बचाने की बात भी जोर शोर से करते थे ।  एक आदिवासी व्यक्तिने कहा कि ये राजनितिक लड़ाई नहीं है, ये जल जंगल जमीन बचाने की लड़ाई है, ये सिर्फ आदिवासी या छत्तीसगढ़ीयों की लड़ाई नहीं है ये सब की लड़ाई है पूरे देस की लड़ाई है । इसीलिए हम तिरंगे को हाथ में लेकर आये हैं , हम तिरंगे के नीचे लड़ रहे हैं . लोग कॉंग्रेस एवं वीजेपी दोनो को जंगल कटने के लिए जिम्मेदार बताते है । लोगो का कहना है कि इस आंदोलन में पार्टी राजनिति नहीं होनी चाहिए यहां जंगल बचाना चाहिए ।. हमारे लोग 675 दिन से धरने पे हैं ,और तब तक हैं जब तक कम्पनी वापिस नहीं जाती .

हसदेव जंगल छत्तीसगढ़ का फेफड़ा है, जब फेफड़ा ही नहीं रहेगा तो फिर सांस कहां से लेगें हम।

प्रतिरोघ मार्च एवं प्रतिरोध सभा में नारे भी लगातार लगते रहे- कम्पनी दलालों को,घूंसा मारो सालो को, ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव रद्द करो,रद्द करो । जल, जंगल, जमीन की रक्षा कौन करेगा ,हम करेंगे, हम करेंगे।, हसदेव की जय. ईंकलाब जिन्दा बाद का नारा भी, लगता रहा--गुंजता रहा।

बिलासपुर, दुर्ग और अम्बिकापुर में भी प्रदर्षन किए गये। बिलासपुर में प्रदर्शन कारियों को गिरफ्तार भी किया गया और काफी देर से  छोड़ा गया. हसदेव जंगल से  छूने वाली मध्यप्रदेश और झारखण्ड की सीमा वर्ती गाँव से भी  लोग प्रीतिरोध सभा में आयेA

कांग्रेस पार्टी के राज्य अध्यक्ष दीपक बैज के पहुंचने पर उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा । क्यों कि पिछले पांच साल तक राज्य में कांग्रेस का शासन रहा । आदिवासियों का आरोप है कि उस दौरान फर्जी ग्राम सभाएं आयोजित करवाईं गई और कांग्रेस ने आंदोलनकारियों द्वारा इन सभाओं को रद्द करने की मांग के बावजूद कुछ नहीं किया । जबकि पूर्व राज्यपाल ने परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित गांवों में फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव की जॉंच के आदेश  23 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ को दे दिये थे।

25 अगस्त 2023 को दिल्ली की पत्रिका संघर्ष  संवाद के पत्रकारों ने हरिहरपुर, में अनिश्चित कालीन धरने के 550 से अधिक दिन होने पर भी, धरना स्थल पर बैठे ग्रामिण आदिवासियों से जब मुलाकात की तो उनहोने कहा कि सरकार द्वारा कोर्ट में एफिडेबिट देने से काम नहीं चलेगा। हसदेव की खदानों को दी गई स्वक्रित्यां निरस्त की जानी चाहिएं।

याद दिला दें कि छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अतरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने 16 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में हसदेव जंगल में किसी नई कोयला खदान की जरुरत न होने का हलफनामा दिया था .

इससे पहले 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन दुआरा सभी कोल ब्लाक रद्द किये जाने का अशासकीय  संकल्प पूर्ण बहुमत से पारित किया गया था.

2 मार्च से 2022 से जारी धरने के 275 दिन पूरे होने के अवसर पर, 20 दिसम्बर 2022 को हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक एवं सरपंच पतुरियाडांड, उमेश्वर आर्मो ने कहा था कि, राज्य सरकार ने परसा खदान की वन स्वीकृति को निरस्त करने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को पत्र लिखा है और व्यापक जन आक्रोश को संज्ञान में लिया है, लेकिन फर्जी ग्रामसभा और पर्यावरणीय चिंताओं का कोई उल्लेख नहीं किया। वे स्वयं ही अंतिम वन स्वीकृति निरस्त कर सकते है और परसा कोल खदान को रद्द कर सकते है। जब तक हसदेव अरण्य की सभी खदाने आधिकारिक रूप से निरस्त नहीं कि जाती यह आंदोलन सतत चलता रहेगा।

लेकिन इन सब के वावजूद अप्रैल 2023 में  कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हसदेव जंगल में खनन की अनुमति दे दी

इन्ही बातों  को आदिवासी आंदोलनकारी आज भी दोहराते है

दीपक बेज ने भी मंच से स्वीकार किया की कांग्रेस के शासन के दौरान कुछ गलतियाँ हुयी।

हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन कर रहे ग्रामीण किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने भाजपा-कांग्रेस सभी को हसदेव के मामले में सियासी खेल करने वाला बताया है । प्रदर्शन में शामिल लोगों की शिकायत है कि पार्टियों के नेता यहां आते हैं फोटो खिचाते हैं और चले जाते हैं। सियासी पार्टियों के लगातार आंदोलन में पहुंचने से उनको कोई मदद नहीं मिल पा रही है । प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सियासी पार्टियों के आने से उनका आंदोलन कमजोर पड़ सकता है।

वर्तमान में जिस परसा ईस्ट केतेवासन कोयला खनन परियोजना के दूसरे चरण के लिए पेड़ों की कटाई की गई है। वह वन क्षेत्र ग्राम घाट वर्रा के सामुदायिक निस्तार का जंगल था । इस गांव को प्राप्त समुदायिक वन अधिकार पत्र को गैर कानूनी रूप से जिला स्तरीय समिति सरबुजा ने निरस्त किया था । जिसके खिलाफ बिलासपुर उच्च न्यायलय में मामला लम्बीत है। गांव के लोग आगे भी लड़ने के लिए तैयार हैं एवं धरना अभी भी चल रहा है।

 प्रीतिरोध सभा की सारी व्यवस्था आदिवासीयों के द्वारा की गई .ड्रोन से लगातार फोटोग्राफिक निगरानी हुई।

(संदर्भ –छत्तीसगढ़ खबर ,खबर बिलासपुर ,जनचौक,खबर छतीसी ,वर्कर्स यूनिटी ,तीसरी जंग ,सामना ,घटती घटना,फटाफट न्यूज़  )

 पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलनपानी पत्रक 

पानी पत्रक (135- 12 जनवरी  2024) जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com



 


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