सोमवार, 8 जुलाई 2024

पेंड्रावन जलाशय जल ग्रहण छेत्र में खनन का मामला

 सात साल बाद फिर उफान पर

पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने मांग की है कि छत्तीसगढ़  सरकार को रायपुर जिले में स्थित 115 साल पुराने पेंड्रावन जलाशय को बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए, जो कि छेत्र के लोगों के लिए , सिंचाई और निस्तार के पानी के लिए महत्वपूर्ण है।


पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति के सचिव घनश्याम वर्मा और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अगर अल्ट्राटेक को खनन की अनुमति दी जाती है, तो बांध सहित दर्जनों गांवों में भारी जल संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार से पेंड्रावन जलाशय में खनन की अनुमति नहीं देने की अपील की।

छत्तीसगढ़ की राजधानी  रायपुर से 90 किलोमीटर दूर , जिले के तिल्दा तहसील  स्थित पेंड्रावन जलाशय ( जिसे पंडित लखनलाल मिश्र जलाशय के नाम से भी जाना जाता है ) एक बहुत ही सुंदर जलाशय है जिसका निर्माण सन 1902 में प्रारंभ हुआ और सन 1908 में खत्म हुआ यह एक मध्यम बांध है जिसका जल भराव क्षेत्र 1100 एकड़ है , यह बांध मिट्टी का बना हुआ है जिसे 4 नालों को बांध कर बनाया गया है और अपने निर्माण से आज तक करीब 115 वर्षों से यह किसानों की सेवा में लगा हुआ है, लोगों का मानना है कि यह बांध आगे और 100 वर्षों तक किसानों और लोगों  की सेवा कर सकता है, इससे बंगोली , कुर्रा , सारागांव, घनसुली, बरौंडा आदि 12 गांवों के लोग  लाभान्वित है  क्योंकि उनके लिए सिचाईं  और पानी का यही प्राथमिक स्रोत है। यह करीब 11000 एकड़ खेतों को सींचने की क्षमता रखता है. छेत्र के किसानों का मानना है कि इसी  बांध ने छेत्र को 1965में सूखे से बचाया और जो आज भी लाखों किसानों की खुशहाली की वजह है .मोहरेंगा और खौलीडाबरी संरक्षित वनों के पास स्थित जलाशय, सर्दियों के दौरान कई प्रवासी पक्षियों का स्थान भी  है।

2012 में, अल्ट्राटेक सीमेंट को जलाशय के जल ग्रहण क्षेत्र में ओपन कास्ट चूना पत्थर खनन के लिए पट्टा मिला, जहाँ जलाशय स्थित है । कंपनी को कुल 689 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी, जिसमें से 658.451 हेक्टेयर निजी भूमि थी। जल संसाधन विभाग ने सशर्त अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया। जलाशय पर खनन के प्रभाव के डर से लोग और राजनेता तब से विरोध कर रहे हैं।

18 अगस्त, 2015 को, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) के लिए एक सार्वजनिक सुनवाई आयोजित की। ग्रामीणों और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने खनन के कारण जलाशय की घटती सिंचाई क्षमता के बारे में अपनी चिंताओं को उठाने के लिए मंच का इस्तेमाल किया।  लेकिन फिर भी अगस्त 2016 में परियोजना को पर्यावरण मंजूरी मिल गई।

एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में आपत्ति जताए जाने के बाद, कृषि और जल संसाधन मंत्री ने एनओसी रद्द करने का फैसला किया,

3 जनवरी, 2017 को जल संसाधन विभाग ने जलाशय से 50 मीटर की दूरी पर स्थित खनन परियोजना के लिए संशोधित एनओसी जारी की। एनओसी में कहा गया कि खदान से सटे जलाशय पर खनन गतिविधियों का कोई असर नहीं होगा। हालांकि, कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि खनन से बांध की दीवारें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे रिसाव हो सकता है, और  पानी की हानि हो सकती है, क्योंकि पर्यावरण प्रभाव आकलन के अनुसार, ओपन कास्ट खनन डेटोनेटर और डीप होल ब्लास्टिंग तकनीक के उपयोग के साथ पूरी तरह से मशीनीकृत होगा।

एनओसी जारी होने के बाद, 12 से अधिक गांवों के किसान पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध करने के लिए एक साथ आए और एनओसी रद्द करने की मांग की। उन्हें कई राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था। प्रदर्शनकारियों ने बांध के पास एक मानव श्रृंखला भी बनाई और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए रायपुर में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए।

(16 फरवरी 2017 का समाचार )

3 मार्च 2017 को राज्य सरकार ने किसानों को शांत करने के लिए एनओसी रद्द कर दी थी। लेकिन अल्ट्राटेक सीमेंट ने राज्य उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। 19 मई 2017 को उच्च न्यायालय ने अल्ट्राटेक को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि किसानों की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। तब से खनन पट्टे का मामला उच्च न्यायालय में लंबित रहा ।

25 अप्रैल 2024 को कोर्ट ने विभाग के निरस्तीकरण आदेश को खारिज करते हुए जल संसाधन विभाग को कंपनी को सुनवाई का अवसर देकर तीन माह के भीतर पुनः निर्णय लेने को कहा था।

  तब से खनन का मामला फिर उफान पर है .5 जुलाई 2024 को इसी सन्दर्भ को लेकर बंगोली में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई.


  बैठक में व्यापक विचार के  उपरांत सभी ने राज्य सरकार ने खनन के पक्ष में NOC जारी न करने की अपील की। बैठक में सामूहिक रूप से निर्णय लिए गए जिसमे

- संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल जल संसाधन मंत्री और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात कर जलाशय के संरक्षण की मांग करेगा।

शुक्ला और वर्मा ने बताया, "हम राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह न्यायालय के आदेश के अनुरूप कंपनी के दबाव में आए बिना किसानों के हित और जलाशय व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए निर्णय ले तथा एनओसी दोबारा जारी न करे और खनन के पक्ष में किए गए खनन अनुबंध (खनन पट्टा) को रद्द करे। इस संबंध में क्षेत्र के किसान जल्द ही मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी  सौंपेंगे।"

(सन्दर्भ –दैनिक भास्कर , छत्तीसगढ़ खबर , लैंड कनफ्लिक्ट वाच ,फेसबुक –छतीसगढ़ बचाओ आन्दोलन )

  पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का संकलनपानी पत्रक 

पानी पत्रक ( 157-9 जुलाई 2024) जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्रशंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com

 


 

 

 

 

 

 

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