हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के मामले
में सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला 17
सितम्बर 2024 को आया । सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा
ईस्ट केते बासन (PEKB) कोल ब्लॉक फेस 2, में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर छत्तीसगढ़
हाई कोर्ट के 2 मई २०२4 के फैसले को निरस्त कर दिया । जिसमें हसदेव अरण्य संघर्ष समिति की पीईकेबी कोल ब्लॉक में
पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को निरस्त किया गया था.
बता दें कि हसदेव अरण्य के PEKB कोल ब्लॉक को राजस्थान राज्य
विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किया गया है, और इसका संचालन अदानी समूह द्वारा किया जा रहा है। इस कोल ब्लॉक के
दूसरे चरण में पेड़ों की कटाई की योजना के खिलाफ हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने
बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। संघर्ष समिति का मुख्य तर्क यह था कि
यह जंगल घाटबर्रा गांव और अन्य गांवों के सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसे अवैध रूप से रद्द किया गया है।
इससे पहले भी 2022 में, जब फेस-2 के इस क्षेत्र में पेड़ों की
कटाई शुरू की गई थी, समिति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस कटाई पर रोक
लगाने की मांग की थी। उस समय हाईकोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वन
अनुमति के आदेशों -2 फरवरी 2022 और 25 मार्च 2022- को चुनौती नहीं दी गई है। इसके बाद, समिति ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष
अनुमति याचिका दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2023 को यह कहकर खारिज कर दिया कि
याचिकाकर्ता संशोधित याचिका दायर करके वन अनुमति आदेशों को चुनौती दे सकते हैं और
पेड़ कटाई पर पुनः रोक लगाने की मांग कर सकते हैं।
इस के बाद संघर्ष समिति द्वारा नवंबर 2023 में ही छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट में संशोधन याचिका और पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका पर बहस की गई थी. हाईकोर्ट द्वारा इसका निर्णय 2 मई 2024 को दिया गया, जिसमें संशोधन याचिका को तो स्वीकार किया गया परंतु पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि पहले भी एक बार ऐसी याचिका हाईकोर्ट के द्वारा निरस्त की जा चुकी है. अर्थात दूसरी बार भी बिना गुण दोष के आधार पर यह याचिका निरस्त कर दी गई.
इसे देखते हुए हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आज, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 2 मई 2024 को दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में ,जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की, तीन सदस्यीय बेंच ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह याचिका पर एक महीने के भीतर सुनवाई पूरी करे और इसका फैसला गुण-दोष के आधार पर करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि एक महीने के भीतर सुनवाई पूरी नहीं होती है, तो याचिकाकर्ता फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते है
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ
अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने बहस की और उनके साथ अधिवक्ता प्योली भी थी.
( सन्दर्भ-द रूरल प्रेस
इन ,डेली छत्तीसगढ़ न्यूज़ ,न्यूज़ एक्शन, का.इन )
पानी से संबंधित सूचनाओ,समाचारों और सन्दर्भों का
संकलन –पानी पत्रक (174-19 सितम्बर 2024 )जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी,जयपुर-राजस्थान,302020,संपर्क-उपेन्द्र शंकर-7597088300.मेल-jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com
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