शनिवार, 16 अगस्त 2025

चेन्नई पुलिस से आधी रात खदेड़े,अन्दोलित सफाई कर्मचारी, संकल्प के साथ वापस आये

चेन्नई में सफ़ाई कर्मचारियों को 13 अगस्त 2025 कि आधी रात को  पुलिस की एक बड़ी कार्रवाई दुआरा धरना स्थल से खदेड़ दिया गया था , लेकिन अब वे डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा अपनी सेवाओं को निजी कंपनी को आउटसोर्स करने के विरोध में, अदम्य सामूहिक संकल्प के साथ वापस आ गए हैं

एक प्रदर्शनकारी सफाई कर्मचारी मकतूब मीडिया को कहा - "जब आपको अपनी गंदगी साफ़ करवानी थी, तब आपको हमारी ज़रूरत थी। आज आपने हमें कचरे की तरह फेंक दिया। हमने अपनी पूरी ज़िंदगी इस शहर की सफाई में बिता दी। हम खुद को किसी निजी कंपनी के हवाले नहीं होने देंगे। हम कुत्तों की हड्डियाँ नहीं हैं; हम इस शहर की रीढ़ हैं।"

देश जब ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासन से अपनी आज़ादी की 79वीं वर्षगांठ मना रहा है, सैकड़ों सफ़ाई कर्मचारी, जिनमें से ज़्यादातर अनुसूचित जाति (एससी) से हैं, सदियों से उत्पीड़ित, शोषित और सामाजिक भेदभाव का सामना कर रहे हैं, चेन्नई जीसीसी मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और शहर के दो और ज़ोन में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के निजीकरण के नगर निकाय के फ़ैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

सफाई कर्मचारियों का विरोध 1 अगस्त, 2025 को शुरू हुआ, जब चेन्नई के रॉयपुरम और थिरु विका नगर के ज़ोन 5 और 6 के सफाई कर्मचारी हमेशा की तरह ड्यूटी पर आए, लेकिन उन्हें घर भेज दिया गया, क्योंकि नगर निकाय ने उनकी नौकरी एक निजी ठेकेदार, रामकी एनवायरो इंजीनियर्स को आउटसोर्स कर दी थी।

सफाई कर्मचारी राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के तहत संविदा के आधार पर कार्यरत हैं। ये कर्मचारी, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं, ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) में एक दशक से अधिक समय से संविदा कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं और लंबे समय से बुनियादी श्रम अधिकारों के साथ स्थायी रोजगार की मांग कर रही हैं।

कर्मचारियों को नगर निकाय द्वारा सेवाओं के निजीकरण के बाद नौकरी जाने का डर है और उनका कहना है कि निजीकरण होने पर उनके वेतन में भी कमी आएगी। पिछले 15 दिनों से, ये कर्मचारी शहर के नगर निगम मुख्यालय के बाहर डेरा डाले हुए हैं और सरकार से अपने मजदूर-विरोधी फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

एक दशक से अधिक समय से, ये सफाई कर्मचारी राज्य सरकार के एनयूएलएम के तहत अनौपचारिक मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं। वे सीवर और सार्वजनिक शौचालय साफ करते हैं और जानवरों के शवों को संभालते हैं। अधिकांश ने 6,000 रुपये प्रति माह के मामूली वेतन पर शुरुआत की थी, और वर्षों के विरोध और धीमी बढ़ोतरी के बाद, वेतन पिछले साल से 22,590 रुपये तक बढ़ा दिया गया था। लेकिन उन्हें अपने काम की खतरनाक प्रकृति के बावजूद कोई विशेष लाभ नहीं मिलता है, न ही सवेतन बीमारी की छुट्टियां, न ही सार्वजनिक अवकाश या ड्यूटी के दौरान चोट लगने पर मुआवजा। उनके पास कोई चिकित्सा बीमा, वृद्धावस्था पेंशन या अन्य बुनियादी अधिकार नहीं हैं।

ड्यूटी के दौरान सफाई कर्मचारियों को चोट लगना आम बात है। हालांकि मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध है और सुरक्षा उपकरण (व्यक्तिगत सुरक्षात्मक वस्तुयें) दिए बिना सफाई कर्मचारियों को खतरनाक काम में लगाने की प्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने अपराध घोषित कर दिया है, सुरक्षा उपकरण, दस्ताने, मास्क, जूते, उन्हें लगभग कभी नहीं दिए जाते हैं.

चूँकि इन सफाई कर्मचारियों में से अधिकांश अनुसूचित जाति समुदायों से हैं, इसलिए जाति इन कर्मचारियों के लिए उत्पीड़न का एक और मुद्दा बन जाती है। इसके अलावा, अधिकांश क्षेत्रों में महिलाएँ कार्यबल का प्रमुख हिस्सा हैं, जो अकेले ही अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। चूँकि वे ठेके पर हैं, इसलिए वे नौकरी छूटने के डर से अपनी आवाज़ नहीं उठा सकतीं।

राज्य सरकार ने निजीकरण के औचित्य के रूप में धन की कमी का हवाला दिया। विडंबना यह है कि सरकार यह भी दावा करती है कि सेवाओं के निजीकरण के बाद, इन कर्मचारियों को आखिरकार वे लाभ मिलेंगे जिनसे वे वर्षों से वंचित रहे हैं! दूसरी ओर, कर्मचारियों का दावा है कि निजी ठेकेदार के तहत उनका वर्तमान वेतन 23,000 रुपये प्रति माह भी घटकर 15,000 रुपये प्रति माह रह जाएगा। पीएफ और ईएसआई की कटौती के बाद, उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा 12-13 हज़ार रुपये ही मिलेंगे, जो बुनियादी जीवनयापन की लागत भी पूरी नहीं कर पाएंगे।

इसके अलावा, उन क्षेत्रों में एक स्पष्ट पैटर्न देखने को मिल रहा है जहाँ सेवाओं का पहले ही निजीकरण हो चुका है . ( एआईएडीएमके सरकार ने 2021 में ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के 15 में से 10 क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं का निजीकरण किया था), जहाँ निजी कंपनियाँ लंबे समय से कार्यरत एनयूएलएम सफाई कर्मचारियों को शायद ही कभी रखती हैं। इसके बजाय, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया और उनकी जगह नए लोगों को नियुक्त किया गया।

इसलिए, नागरिक सेवाओं को निजी कंपनी को सौंपे जाने के बाद, कर्मचारियों को न केवल कम वेतन मिलेगा, बल्कि उन्हें अपनी नौकरी खोने का भी डर रहेगा। सफाई कार्यों को निजी ठेकेदारों को आउटसोर्स करने के बजाय, वे अपनी नौकरियों के नियमितीकरण, वेतन सुरक्षा और निजीकरण के कदम को वापस लेने की माँग कर रहे हैं।


13 अगस्त 2025को, आधी रात को पुलिस ने जीसीसी रिपन बिल्डिंग के प्रवेश द्वार से प्रदर्शनकारी सफ़ाई कर्मचारियों को बलपूर्वक खदेड़ दिया। पुलिस की यह कार्रवाई मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद हुई, जिसमें निर्देश दिया गया था कि विरोध प्रदर्शन को किसी निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित किया जाए क्योंकि इससे ट्रैफ़िक जाम के कारण जनता को असुविधा हो रही है। अदालत के आदेश पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने, हमेशा की तरह, आधी रात को धरना स्थल पर कब्ज़ा कर लिया। सैकड़ों कर्मचारियों को जबरन घसीटकर बाहर निकाला गया और बसों में डाल दिया गया। पुलिस की कार्रवाई के दौरान कुछ महिला कर्मचारी बेहोश हो गईं, जबकि कुछ को घसीटते समय चोटें आईं। 800 से ज़्यादा कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया। उन्हें अगले दिन रिहा कर दिया गया।

पुलिस कार्रवाई पर विपक्षी नेताओं और मज़दूर संघों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन पर सफाई कर्मचारियों को नियमित करने के अपने 2021 के चुनावी वादे को तोड़ने और अब उनकी सेवाओं का निजीकरण करने का आरोप लगाया।

राजनीतिक आक्रोश का सामना करते हुए, 14 अगस्त को, तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने सफाई कर्मचारियों के लिए एक कल्याणकारी पैकेज को मंज़ूरी दी, जिसमें मुफ़्त नाश्ता, उच्च जीवन बीमा कवर, विस्तारित स्वास्थ्य योजनाएँ, उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और अगले तीन वर्षों में 30,000 नए आवास इकाइयों का वादा किया गया।

हालाँकि, कर्मचारियों का कहना है कि नए उपाय दोनों क्षेत्रों में निजीकरण की उनकी मुख्य माँग को पूरा नहीं करते हैं। उन्होंने इस कदम को वापस लिए जाने तक अपना विरोध जारी रखने और निजीकरण का विरोध करने की कसम खाई है।

सफाई कर्मचारिओं के विरोध  को कई ट्रेड यूनियनों का समर्थन प्राप्त हैजिनमें अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियन परिषद (एआईसीसीटीयू)लेफ्ट ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एलटीयूसी)लेबर प्रोग्रेसिव यूनियन (एलपीयू)और उझाइपोर उरीमाई इयक्कम (श्रमिक अधिकार आंदोलन) शामिल हैं।

(सन्दर्भ / साभार –Groundxero , The news minut, The new Indian express,Mathrubhumi.com)

 

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